जानिए- दिल्ली HC ने क्यों पलट दिया परीक्षा परिणाम, देश के कई अभ्यर्थियों से जुड़ा है मामला
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत मनचंदा ने एक और प्रश्न के गलत होने का दावा करते हुए सवाल उठाया। जिसे पीठ ने सही पाया और कमेटी के तीन प्रश्न समेत चार प्रश्नों को हटाने के आदेश दिए।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली न्यायिक सेवा (डीजेएस) परीक्षा-2018 में चार सवाल गलत पाए जाने के बाद पूर्व में घोषित किए गए परीक्षा परिणामों को पलट दिया। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने नई सूची तैयार करने के आदेश दिए। अदालत के आदेश पर जारी की गई सूची में पूर्व में असफल घोषित 111 परीक्षार्थी सफल घोषित किए गए। पूर्व में जारी सूची में 564 परीक्षार्थियों को सफल घोषित किया गया था, जबकि नई सूची जारी होने के बाद यह संख्या 675 हो गई है।
याचिका पर हाई कोर्ट की तरफ से पेश हुए हुए वकील ने जांच के लिए कुछ समय की मांग की। जांच के लिए गठित कमेटी ने पाया कि परीक्षा में पूछे गए तीन प्रश्न गलत हैं। सवाल गलत पाए जाने पर कमेटी ने मुख्य न्यायमूर्ति से अनुमति लेकर इसे हटा दिया और फैसले की रिपोर्ट पीठ के समक्ष पेश की गई।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत मनचंदा ने एक और प्रश्न के गलत होने का दावा करते हुए सवाल उठाया। जिसे पीठ ने सही पाया और कमेटी के तीन प्रश्न समेत चार प्रश्नों को हटाने के आदेश दिए। इन चार प्रश्न के बदले सभी परीक्षार्थियों को एक-एक अंक मिले।
यह था मामला
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा आयोजित डीजेएस परीक्षा-2018 के परिणाम के खिलाफ मध्य प्रदेश में सिविल न्यायाधीश पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता विजयश्री राठौर समेत 6 परीक्षार्थियों ने अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा के माध्यम से याचिका दायर की थी। याचिका मे बगैर उत्तर पुस्तिका जारी किए परिणाम घोषित करने और परीक्षा में गलत सवाल पूछने पर सवाल उठाया गया था। साथ ही यह भी कहा गया था कि 13 जनवरी को परीक्षा होने से छह दिन पहले जारी किए गए निर्देश में कहा गया कि परीक्षार्थी अब प्रश्नपत्र व उत्तर पुस्तिका पर आपत्ति नहीं दर्ज करा सकेंगे, जबकि नियमत: यह परीक्षार्थियों का हक है। नियम के अनुसार परीक्षा होने के बाद प्रश्नपत्रों की एक उत्तर पुस्तिका जारी की जाती है, ताकि प्रश्न व उत्तर के गलत होने पर परीक्षार्थी आपत्ति दर्ज करा सके, लेकिन इसका मौका नहीं दिया गया और 17 जनवरी को परिणाम घोषित कर दिया गया।
मामूली अंतर से चूके थे परीक्षार्थी
हाई कोर्ट द्वारा जारी की गई पहली सूची में मध्य प्रदेश में सिविल न्यायाधीश पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता विजयश्री राठौर, पंजाब के अमृतसर निवासी प्रभजोत सिंह, उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद निवासी अंजली गोस्वामी, हरियाणा के भिवानी निवासी अनु कुमार, गुरुग्राम निवासी निधि सरोज और हरियाणा के हिसार निवासी परीक्षा में निर्धारित अंक से .50 से लेकर दो अंक कम होने के कारण असफल घोषित किए गए थे।