Delhi Excise Policy: आवासीय क्षेत्र में शराब की दुकान के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे स्थानीय नागरिक
Delhi Excise Policy 2021 जंगपुरा में अपने इलाके के बाहर एक शराब की दुकान के प्रस्तावित उद्घाटन को चुनौती देते हुए स्थानीय नागरिकों द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई तीन दिसंबर को होगी।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। जंगपुरा में अपने इलाके के बाहर एक शराब की दुकान के प्रस्तावित उद्घाटन को चुनौती देते हुए स्थानीय नागरिकों द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तावित उद्घाटन को इस आधार पर चुनौती दी है कि किसी भी शराब की दुकान को शैक्षिक, धार्मिक व अस्पताल के 100 मीटर के दायरे में खोलने की अनुमति नहीं है। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने याचिका पर दिल्ली सरकार के साथ आयुक्त (आबकारी, मनोरंजन और विलासिता कर) से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई तीन दिसंबर को होगी।
पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार और आयुक्त का जवाब मिलने के बाद ही शराब की दुकान के लाइसेंस धारक को नोटिस जारी करने पर विचार करेगा। जंगपुरा-ए के निवासियों ने याचिका दायर कर क्षेत्र में शराब/बीयर की दुकान के प्रस्तावित अवैध उद्घाटन के खिलाफ याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता प्रवीण अरोड़ा समेत अन्य ने याचिका दायर करके कहा कि उक्त स्थान पर शराब या बीयर की दुकान खोलने का प्रस्ताव दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सहित संबंधित कानूनों, नियमों के प्रविधानों के खिलाफ है। अधिवक्ता अभय कुमार, कुमार मिलिंद और शगुन रूहिल के माध्यम से दायर याचिका में में याची ने कहा कि दिल्ली आबकारी नीति और दिल्ली उत्पाद नियम- 2010 के एक खंड के अनुसार किसी भी शराब या बीयर की दुकान को प्रमुख शैक्षणिक संस्थान, धार्मिक स्थल और 50 बिस्तर या इससे अधिक बिस्तर वाले अस्पताल के 100 मीटर के दायरे में खोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा उक्त दुकान प्रविधानों का पालन किए बगैर खोली जा रही है क्योंकि यहां एक से अधिक धार्मिक स्थल ही नहीं स्कूल और अस्पताल भी हैं। स्कूल के साथ आर्य समाज मंदिर 30 मीटर की दूरी पर स्थित है।
कांथी माता मंदिर 60 मीटर की दूरी पर है, माई का गुरुद्वारा 90 मीटर की दूरी पर है, एमसीडी अस्पताल 60 मीटर की दूरी पर है। याची ने कहा कि इस संबंध में जंगपुरा-ए और भोगल के निवासियों ने पार्षद और क्षेत्र के विधान सभा सदस्य से शिकायत की है। लेकिन कहीं से कोई कार्रवाई नहीं होने पर हाई कोर्ट का रुख किया है।