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खुशियों से भरा कॉफी का एक कप, यहां पर है 50 से ज्यादा तरह की कॉफी का टेस्ट

सन् 1942 में यूनाइटेड कॉफी हाउस की नींव पड़ी। दिल्ली के पहले कॉफी हाउस की कहानी दिलचस्प ही नहीं काफी रोचक भी है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 02 Jun 2018 02:42 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jun 2018 02:57 PM (IST)
खुशियों से भरा कॉफी का एक कप, यहां पर है 50 से ज्यादा तरह की कॉफी का टेस्ट
खुशियों से भरा कॉफी का एक कप, यहां पर है 50 से ज्यादा तरह की कॉफी का टेस्ट

नई दिल्ली (संजीव कुमार मिश्र)। दिनभर कॉफी हाउस में बैठे कुछ दुबले-पतले नक्काद (आलोचक)...बहस यही करते रहते हैं सुस्त अदब की है रफ्तार...। कुछ लबों पर खुशी और गम के संग हर सिप से करते हैं इजहार...। सुस्वाद में कॉफी के कुछ गढ़ जाते हैं कविता और शायरी लाजवाब...। कोई यादों को संजोता है कॉफी की हर सिप के साथ...। हर होई दिल लगा बैठा है 75 बरस के इस यूनाइटेड कॉफी हाउस के साथ... :

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सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार, तेज हार्न, आते-जाते लोगों के हुजूम के बीच कनॉट प्लेस ई-ब्लॉक में शांति और दो पल सुकून से गुजारने की ख्वाहिश में कदम खुद ब खुद यूनाइटेड कॉफी हाउस की तरफ बढ़ ही जाते हैं। साहित्यकार, कलाकार 3500 स्कवायर फीट में बने यूनाइटेड कॉफी हाउस के 23 फीट ऊंचे लगे बड़े पंखे के नीचे

खुद को निश्चिंत पाते हैं। सुकून की तलाश पूरी होती है। इस वर्ष यूनाइटेड कॉफी हाउस अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे कर चुका है। लेकिन गुजरते वक्त के साथ लोगों का आकर्षण इसे जवां और यूनिक बनाए रखे हुए है।

मेम साहिब की शॉप से आया आइडिया 

दिल्ली के पहले कॉफी हाउस की कहानी दिलचस्प ही नहीं काफी रोचक भी है। पुरानी दिल्ली के बड़े कारोबारी लाल हंस राज कालरा ने इसकी स्थापना की थी और वर्तमान में आकाश कालरा इसकी देखभाल कर रहे हैं। बकौल आकाश, लाल हंसराज ने कनॉट प्लेस के बारे में काफी सुना था। उन्हें पता चला कि इस मार्केट को घोड़े की नाल के शक्ल के आकार में बसाया गया है ताकि कारोबारियों के लिए शुभ साबित हो। एक बार वो यहां आए तो देखा कि मेम साहिब (विदेशी महिलाएं) हस्त निर्मित गिफ्ट आइटम, जूते, चप्पल समेत अन्य सामानों की दुकान खोली हुई हैं। इतनी दुकानों के बीच एक शांत माहौल की कमी खली। जहां फुर्सत में बैठकर चिंतन-मंथन के अलावा शॉपिंग की थकान भी मिट सके। फिर क्या था सन् 1942 में यूनाइटेड कॉफी हाउस की नींव पड़ी।

हंस राज ने इसका नाम यूनाइटेड इसलिए रखा गया क्योंकि उन्हें लगता था कि कॉफी के बहाने ही सही लोग एक-दूसरे से जुड़ेंगे।

इंटीरियर करेगा दिल पर राज

कॉफी हाउस में प्रवेश करते ही इसकी भव्यता और सजावट आपके दिल पर हमेशा के लिए राज कर जाएगी। मेन हॉल (मुख्य हॉल) और ऊपरी डेक बहुत ही शानदार है, यहां पर किया गया लकड़ी का अच्छा उपयोग और छत की सजावट आपकी सात दशक या उससे भी पहले की याद ताजा करती है। दरवाजों में लगाए गए वास्तविक हैंडिल और दरवाजों का स्टाइल 1940 और 1950 के दशक जैसा ही है और यह अभी भी प्रचलन में हैं। हॉल में लटकता

झूमर लाइटों के बीच इस कदर चमकता है कि आंखों को सुकून देता है।

यहां बनती थी जोड़ियां

कहते हैं जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है लेकिन एक समय दिल्ली में यह प्रचलित कहावत थी कि जोड़ियां सिर्फ यूनाइटेड कॉफी हाउस में बनती हैं। दरअसल, यहां का खूबसूरत माहौल में परिवार आकर बैठते थे और शादी की बात पक्की करते थे। यही नहीं उस समय के तत्कालीन साहित्यकार, कलाकारों का भी यह बेहतरीन अड्डा हुआ करता था। 1942 में जब कनॉट प्लेस में सिर्फ चार पहिया वाहन ही आने की इजाजत थी। कॉफी और स्नेक्स संग लोग घंटो गुजारते थे।

जायके का संसार 

आकाश कालरा कहते हैं कि सन् 1942 में यूनाइटेड कॉफी हाउस खुला था। उस समय कॉफी और स्नेक्स उपलब्ध है। कुछ महीनों बाद ही रेस्त्रां खोला गया और इस तरह यह 75 वां साल है। यह 1950 में दिल्ली का पहला एयर कंडीशनर रेस्त्रां था। बकौल आकाश, पिता गंधर्व कुमार पढ़ाई के लिए ब्रिटेन भी गए थे। यह गंधर्व कुमार ही थे

जिन्होंने रेस्त्रां के मेन्यू में चिकन पेपर स्टेक जोड़ा। यहां का ड्रम्स ऑफ हेवेन, मशरूम सूप, काठी रोल तवा पनीर, पुर्तगाली मछली, चीज बॉल, भरवा टमाटर, कीमा समोसा, मटर चिकन चाट, नर्गिस के कोफ्ते, चिकन अला कीव खाने दूर-दूर से लोग आते हैं।

ब्रिटिश से लेकर पाकिस्तान तक का फूड क्लब

यहां के फूड क्लब की विविधता जायके के शौकीनों को पसंद आती है। आजादी के पहले दुकान सुबह 11 बजे से रात आठ बजे तक खुलती थी। आजादी के बाद यह ना केवल देर रात तक खुलने लगी बल्कि फूड क्लब भी बढ़ाए गए। फूड क्लब के तहत विभिन्न प्रकार के डिशेज मिलती हैं। पहले ओल्ड दिल्ली कायस्थ फूड और प्रोविंस पाकिस्तानी फूड मिलते थे। अब कमर्शियल फूड, बिबियाना फूड, मद्रास क्लब फूड, बांबे क्लब फूड, कलकत्ता क्लब फूड, एंग्लो इंडियन, खानसामा कूकड मेमसाहिब कुजिन, कांटिनेंटल फूड, एशियन मैक्सिकन, लेबनान, ब्रिटिश क्लब फूड हैं। यही नहीं यहां 50 से ज्यादा प्रकार की कॉफी और चाय भी सर्व की जाती है।

दिल्ली के अलावा डीएलएफ मॉल आफ इंडिया-नोएडा सेक्टर 18, साइबर हब-गुरुग्राम में भी यूनाइटेड कॉफी हाउस का लुत्फ उठा सकते हैं। आकाश का अगला पड़ाव नेहरू प्लेस मेट्रो स्टेशन एपिक्यूरिया है।


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