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सिर्फ आरोप के आधार पर रक्षा ठेकेदारों को काली सूची में नहीं डाल सकते: हाई कोर्ट

रक्षा सौदे में ठेकेदारी करने वाला हर ठेकदार किसी न किसी भ्रष्टाचार के मामले का सामना कर रहा है और यह किसी कंपनी को काली सूची में डाले जाने का आधार नहीं हो सकता।

By Edited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 09:11 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 03:36 PM (IST)
सिर्फ आरोप के आधार पर रक्षा ठेकेदारों को काली सूची में नहीं डाल सकते: हाई कोर्ट
सिर्फ आरोप के आधार पर रक्षा ठेकेदारों को काली सूची में नहीं डाल सकते: हाई कोर्ट

नई दिल्ली (जेएनएन)। रक्षा सौदे में ठेकेदारी करने वाला हर ठेकदार किसी न किसी भ्रष्टाचार के मामले का सामना कर रहा है और यह किसी कंपनी को काली सूची में डाले जाने का आधार नहीं हो सकता। इस तरह का व्यवहार जानवर का है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने सिंगापुर की कंपनी एसटी काइनेटिक व स्विस ऑर्नमेंट मेन्यूफैक्चरर रेहिनमेटल एयर डिफेंस कंपनी की याचिका पर की। दोनों कंपनियों को केंद्र सरकार ने वर्ष 2009 के आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) भ्रष्टाचार के मामले में काली सूची में डाल दिया था।

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ओएफबी द्वारा निकाली जाने वाली निविदा में प्रतिभाग करने पर 10 साल की रोक लगाने के 2012 के फैसले के खिलाफ दोनों कंपनियों ने याचिका दायर की थी। प्रोटेंशियन वेंडर से रिश्वत लेने के मामले में एफओबी महानिदेशक सुदीप्ता घोष के गिरफ्तार होने के दो साल बाद दोनों कंपनियों को काली सूची में डाला गया था। याचिका में कंपनियों ने दावा किया कि उन्हें आरोप पत्र में नामजद नहीं किया गया है और न ही काली सूची में डाले जाने के संबंध में ओएफबी की तरफ से उन्हें दस्तावेज ही उपलब्ध कराए गए हैं।

याचिका के अनुसार, जुलाई में केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय से व्यापार करने में जुर्माना लगाने के संबंध में नए दिशानिर्देश बनाए। इसके तहत काली सूची में डाले जाने के प्रतिबंध को 10 से पांच साल किया गया। इसके तहत दोनों कंपनियों ने केंद्र सरकार से उनका प्रतिबंध कम करने की मांग की थी, लेकिन जब केंद्र सरकार ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया तो उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आगामी चार सप्ताह में मामले का निपटारा करने के आदेश दिए। मामले में अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी। गौरतलब है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने जुलाई 2010 में कोलकाता की विशेष अदालत में सुदीप्ता घोष समेत 11 अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। आरोप है कि घोष ने अन्य लोगों के साथ ओएफबी द्वारा निविदा देने के बदले भ्रष्टाचार करने और साथ ही ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के सैन्य अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की साजिश रची थी।


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