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बाहरी बता दाखिले से मना नहीं कर सकते स्कूल, HC ने दो छात्रों की याचिका पर दिया आदेश

हाई कोर्ट का आदेश ऐसे अन्य मामलों के लिए नजीर बनेगा। इससे स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगेगी। स्कूलों की दाखिला प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। स्कूल दाखिले में पूरी मनमानी करते हैं।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 06:20 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 06:20 PM (IST)
बाहरी बता दाखिले से मना नहीं कर सकते स्कूल, HC ने दो छात्रों की याचिका पर दिया आदेश
बाहरी बता दाखिले से मना नहीं कर सकते स्कूल, HC ने दो छात्रों की याचिका पर दिया आदेश

नई दिल्ली (जेएनएन)। बाहरी बताकर छात्र को दाखिला देने से मना करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। दो छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि छात्र को केवल इसलिए दाखिला न देना कि वह उस क्षेत्र में नहीं रहता है, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

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दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की कोर्ट ने छठवीं और आठवीं क्लास के दो छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को ये टिप्पणी की है। नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमस) क्षेत्र स्थित नवयुग स्कूल ने दोनों छात्रों को ये कहकर दाखिला देने से मना कर दिया था कि वह एनडीएमसी एरिया के रहने वाले नहीं है। स्कूल ने इस संबंध में एनडीएमसी द्वारा जारी एक सर्कुलर का जिक्र करते हुए दाखिला निरस्त किया है।

कोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर छात्रों का दाखिला निरस्त कर देना कि वह उस क्षेत्र के रहने वाले नहीं है, पक्षपातपूर्ण, मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्ल्घंन है। कोर्ट ने नवयुग स्कूल को आदेश दिया है कि वह याचिका दायर करने वाले छात्रों रोहित कुमार और सचिन कुमार को क्रमशः छठवीं और आठवीं क्लास में दाखिला प्रदान करें। साथ ही उन्हें क्लास में बैठने की अनुमति भी प्रदान करें।

मालूम हो कि स्कूल ने दोनों छात्रों को ये कहते हुए दाखिला देने से मना कर दिया था कि वह एनडीएमसी एरिया के बाहर रहते हैं। दोनों छात्रों ने अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि वह एनडीएमसी एरिया के बाहर रहते हैं। इसलिए उस एरिया में रहने का प्रमाण पत्र नहीं दे सकते। इसी आधार पर स्कूल ने उन्हें दाखिला देने से इंकार कर दिया है।

नजीर बनेगा हाई कोर्ट का ये आदेश

जानकारों के अनुसार हाई कोर्ट का ये आदेश इस तरह के अन्य मामलों के लिए नजीर बनेगा। इससे स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगेगी। मालूम हो कि दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों में दाखिला हमेशा से अभिभावकों के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है। स्कूलों की दाखिला प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। ऐसे में वह दाखिला देने में पूरी मनमानी करते हैं। सबसे ज्यादा छात्रों का दाखिला इसलिए रद्द कर दिया जाता है क्योंकि छात्र उस एरिया का रहने वाला नहीं है। बहुत से स्कूल तो बाहर के एरिया में रहने वाले छात्रों को फार्म तक नहीं देते हैं।


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