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प्रोडक्ट्स पर देश की जानकारी देने वाली याचिका पर HC ने केंद्र व ई-कॉमर्स कंपनियों से मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार समेत ई-कॉमर्स कंपनियां भी इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखें।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 02:19 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 02:28 PM (IST)
प्रोडक्ट्स पर देश की जानकारी देने वाली याचिका पर HC ने केंद्र व ई-कॉमर्स कंपनियों से मांगा जवाब
प्रोडक्ट्स पर देश की जानकारी देने वाली याचिका पर HC ने केंद्र व ई-कॉमर्स कंपनियों से मांगा जवाब

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। प्रोडक्ट पर निर्मित देश की जानकारी देने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और ई-कॉमर्स कंपनियों से अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। इस पर अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी। इस याचिका में तर्क दिया गया है कि अगर प्रोडक्ट पर देश का नाम दिया जाएगा तो भारतीय अपने देश में बने सामान को खरीदने को प्राथमिकता देंगे। इससे देश की अर्थ व्यवस्था को फायदा होगा। 

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जागरण संवाददाता के मुताबिक, याचिकाकर्ता अमित शुक्ला की याचिका पर बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री समेत ई कॉमर्स प्लेटफार्म जैसे की अमोजोंन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील को नोटिस जारी किया है। इन्हें अपना पक्ष अगली सुनवाई में रखना होगा।

चीफ जस्टिस डीएन पटेल (Chief Justice D N Patel) और जस्टिस प्रतीक जालान (Justice Prateek Jalan) ने नोटिस जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार समेत ई-कॉमर्स कंपनियां भी इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखें।

हाई कोर्ट में दायर इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट केंद्र सरकार को इस संबंध में आदेश दे कि ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिये बेचे जा रहे सामान और उत्पादों पर निर्माता देश का नाम लिखें। इसमें साफ-साफ देश का अंकित हो। याचिकाकर्ता ने कानूनी मेट्रोलॉजी अधिनियम, 2009 का अनुपालन करने की मांग की है।

याचिका में की गई मांग

  • देश में बनाए गए प्रोडक्ट्स की बिक्री को बढ़ाने के लिए ई कॉमर्स वेबसाइट अपनी साइट पर प्रोडक्ट्स के बारे में पूरी जानकारी प्रदर्शित की जाए।
  • प्रोडक्ट पर साफ तौर पर लिखा हो कि किस देश का है और उसका निर्माण कहां हुआ है?
  • याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसा करने से देश में बने उत्पादों की मांग और बिक्री बढ़ेगी, जिसका सीधा-सीधा फायदा देश की अर्थव्यवस्था को होगा।
  • भारत-चीन सीमा पर तनाव है, जिससे चीन के सामान की बिक्री का कोई तर्क नहीं बनता है।

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