Coronavirus : कोरोना से जान गंवाने वालों के शवों के निपटारे की होगी निगरानी: दिल्ली HC
HC में दिल्ली सरकार ने कहा था कि संदिग्ध शवों का कोरोना टेस्ट करना बंद कर दिया है क्योंकि टेस्ट रिपोर्ट न मिलने से वायरस से मौत होने के संदेह में परिजन शवों का दावा करने नहीं आते।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने मंगलवार को कहा कि वह आम आदमी पार्टी सरकार के हालिया आदेश को लागू करने की निगरानी करेगा, जिसमें कहा गया है कि COVID -19 से जान गंवाने वालों के शवों का निपटारा शुरू कर दिया है।
इससे पहले सोमवार को एक जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट में जानकारी दी थी कि उसने संदिग्ध शवों का कोरोना टेस्ट करना बंद कर दिया है क्योंकि टेस्ट रिपोर्ट न मिलने के कारण वायरस से मौत होने के संदेह में परिजन शवों का दावा करने नहीं आते हैं। इसके कारण शवों का अंतिम संस्कार करने में समय लगता है। दिल्ली सरकार ने शवों का अंतिम संस्कार में होने वाली देरी का बीमारी के प्रति डर भी है।
बृहस्पतिवार को कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार एवं शवगृह में शवों को रखने के लिए सुविधाओं की कमी के मामले का संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ व न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने स्वत: जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की थी।
अधिवक्ता संजय घोष के माध्यम से दायर शपथ पत्र में दिल्ली सरकार ने कहा कि यह परिस्थिति एक बार उत्पन्न हुई और आगे ऐसा न हो इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने कहा कि देरी इस वजह से भी हो रही है क्योंकि परिजनों को ऐसी जानकारी है कि शवों का अंतिम संस्कार अस्पताल द्वारा किया जाएगा, जबकि शवों का अंतिम संस्कार परिजनों को ही करना है।
गत बृहस्पतिवार को पीठ ने कहा था कि अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार दिल्ली में लोक नायक अस्पताल के कोरोना शवगृह के अंदर 108 शव हैं और इसमें से 28 शव फर्श पर एक दूसरे के ऊपर ढेर के रूप में पड़े हैं क्योंकि शवगृह में सिर्फ 80 शवों को रखने की जगह है। पीठ ने समाचार का हवाला देते हुए कहा था कि पांच दिन पहले मरने वाले लोगों के शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है।