हाई कोर्ट का सवाल, ‘प्रेशर हॉर्न पर रोक के लिए यातायात पुलिस ने क्या किया’
वाहनों के चालान से संबंधित रिपोर्ट पर असंतुष्टि जताते हुए कोर्ट ने यातायात पुलिस से जवाब मांगा है कि उसने प्रेशर हॉर्न पर रोक के लिए क्या कदम उठाए हैं।‘
By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 10:47 AM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 10:48 AM (IST)
नर्इ् दिल्ली, जागरण संवाददाता। प्रेशर हॉर्न संबंधित यातायात पुलिस द्वारा दाखिल प्रगति रिपोर्ट पर असंतुष्टि जताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल किया है कि प्रेशर हॉर्न और मॉडिफाइड साइलेंसर के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। वर्ष 2007 में दिए गए फैसले के तहत पुलिस के पास वाहनों से अवैध उपकरणों को हटाने का अधिकार है।
प्रगति रिपोर्ट से कोर्ट संतुष्ट नहीं
हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यातायात पुलिस से पूछा कि प्रेशर हॉर्न और मॉडिफाइड साइलेंसर के इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर क्या कदम उठाए गए। प्रेशर हॉर्न वाले वाहनों का चालान करने के संबंध में यातायात पुलिस द्वारा दाखिल प्रगति रिपोर्ट पर मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने कहा कि वह इस जवाब से संतुष्ट नहीं है।
जवाब दाखिल करे ट्रैफिक पुलिस
पीठ ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय में तैनात एसीपी यातायात को निर्देश दिया कि वह इस पर जवाब दाखिल करें कि 26 मार्च 2007 को दिए गए फैसले को कैसे लागू किया जा रहा है। अगली तारीख (24 जुलाई) पर एसीपी यातायात प्रगति रिपोर्ट के साथ पेश हों। रिपोर्ट में यह जानकारी देनी होगी कि कानून के तहत प्रेशर हॉर्न के संबंध में क्या कार्रवाई की गई।
ध्वनि प्रदूषण पर दायर की गई थी जनहित याचिका
गौरतलब है कि हाई कोर्ट वायु व ध्वनि प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। जस्टिस फॉर राइट्स फाउंडेशन व विधि के छात्र प्रतीक शर्मा की तरफ से दायर याचिका में प्रेशर हॉर्न व मॉडिफाइड साइलेंसर पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि प्रेशर हॉर्न के कारण लोगों को बीमारियां हो रही हैं।
10 फीसद कम हो हॉर्न का शोर
बता दें कि ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार वाहनों पर लगने वाले हॉर्न के शोर को 100 डेसीबल (dB) के अंदर लाना चाहती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी हॉर्न की रेंज 93-112 dB के बीच है। सरकार अब इसे 10 फीसद कम करेगी, जिसके बाद यह 88-100 dB के अंदर आ जाएगा। देश में लगातार बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रण में लाने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण की बहरापन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। प्रेशर हॉर्न को लेकर कानून है, लेकिन उनका अच्छे से पालन नहीं होता है। कई लोग अपनी गाड़ी या बाइक खरीदने के बाद उस पर प्रेशर और मल्टी टोन हॉर्न लगवाते हैं, जो सड़कों पर होने वाले ध्वनि प्रदूषण की बड़ी वजह बनते हैं।
फिलहाल भारत उन देशों में शामिल हैं जहां वाहनों पर इतने ज्यादा शोर वाले हॉर्न हैं। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में हॉर्न के शोर के लिए तय सीमा काफी कम है और गैरजरूरी हॉर्न बजाने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं।
प्रगति रिपोर्ट से कोर्ट संतुष्ट नहीं
हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यातायात पुलिस से पूछा कि प्रेशर हॉर्न और मॉडिफाइड साइलेंसर के इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर क्या कदम उठाए गए। प्रेशर हॉर्न वाले वाहनों का चालान करने के संबंध में यातायात पुलिस द्वारा दाखिल प्रगति रिपोर्ट पर मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने कहा कि वह इस जवाब से संतुष्ट नहीं है।
जवाब दाखिल करे ट्रैफिक पुलिस
पीठ ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय में तैनात एसीपी यातायात को निर्देश दिया कि वह इस पर जवाब दाखिल करें कि 26 मार्च 2007 को दिए गए फैसले को कैसे लागू किया जा रहा है। अगली तारीख (24 जुलाई) पर एसीपी यातायात प्रगति रिपोर्ट के साथ पेश हों। रिपोर्ट में यह जानकारी देनी होगी कि कानून के तहत प्रेशर हॉर्न के संबंध में क्या कार्रवाई की गई।
ध्वनि प्रदूषण पर दायर की गई थी जनहित याचिका
गौरतलब है कि हाई कोर्ट वायु व ध्वनि प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। जस्टिस फॉर राइट्स फाउंडेशन व विधि के छात्र प्रतीक शर्मा की तरफ से दायर याचिका में प्रेशर हॉर्न व मॉडिफाइड साइलेंसर पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि प्रेशर हॉर्न के कारण लोगों को बीमारियां हो रही हैं।
10 फीसद कम हो हॉर्न का शोर
बता दें कि ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार वाहनों पर लगने वाले हॉर्न के शोर को 100 डेसीबल (dB) के अंदर लाना चाहती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी हॉर्न की रेंज 93-112 dB के बीच है। सरकार अब इसे 10 फीसद कम करेगी, जिसके बाद यह 88-100 dB के अंदर आ जाएगा। देश में लगातार बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रण में लाने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण की बहरापन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। प्रेशर हॉर्न को लेकर कानून है, लेकिन उनका अच्छे से पालन नहीं होता है। कई लोग अपनी गाड़ी या बाइक खरीदने के बाद उस पर प्रेशर और मल्टी टोन हॉर्न लगवाते हैं, जो सड़कों पर होने वाले ध्वनि प्रदूषण की बड़ी वजह बनते हैं।
फिलहाल भारत उन देशों में शामिल हैं जहां वाहनों पर इतने ज्यादा शोर वाले हॉर्न हैं। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में हॉर्न के शोर के लिए तय सीमा काफी कम है और गैरजरूरी हॉर्न बजाने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं।
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