Money Laundering Case: फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिवेंद्र सिंह को हाई कोर्ट से राहत, मिली जमानत
शिवेंद्र सिंह को जमानत देते हुए सुबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करने जैसी कई शर्तें भी लगाई।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के गबन के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामले में गिरफ्तार किए गए फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिवेंद्र सिंह को आखिरकार दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिल गई। न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से फैसला सुनाते हुए शिवेंद्र सिंह को एक करोड़ रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। पीठ ने इसके साथ ही ईडी के जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि इमिग्रेशन विभाग को शिवेंद्र के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी करने का अनुरोध करे ताकि उसे बिना जानकारी के देश से बाहर जाने से रोका जा सके।
पीठ ने इसके साथ ही शिवेंद्र सिंह को जमानत देते हुए सुबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करने जैसी कई शर्तें भी लगाई। 16 जुलाई को दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। शिवेंद्र ने 18 जून को निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
निचली अदालत ने कहा कि था कि अपराध 2397 करोड़ रुपये जैसी बड़ी धनराशि से जुड़ा है, ऐसे में आरोपित को जमानत नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिवेंद्र के अधिवक्ता ने पीठ के समक्ष कहा था कि ईडी मामले में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है और अब उनके मुवक्किल को जेल में रखने से कोई फायदा नहीं है। उन्होंने दलील दी थी कि मामले से जुड़े सभी सुबूत दस्तावेज के रूप में हैं और उनके मुवक्किल पर दस्तावेजों से छेड़छाड़ का कोई आरोप नहीं लगाया गया है।
उन्होंने यह भी भी बताया कि मामले में सह-आरोपित अनिल सक्सेना को भी हाल ही में हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। अनिल को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था। वहीं, ईडी की तरफ से पेश हुए स्टैंडिंग काउंसल अमित महाजन ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि शिवेंद्र को जमानत पर छोड़ने से आगे की जांच प्रभावित होगी और निचली अदालत ने भी जमानत देने से इन्कार कर दिया है। निचली अदालत ने भी नोट किया था कि शिवेंद्र ने ईडी की हिरासत में रहने के दौरान एक फोन स्मगल करने की कोशिश की थी।
अदालत ने कहा था कि शिवेंद्र सिंह ने उन्हें घर का खाना व परिवार से मिलने समेत दी गई अन्य राहत का गलत इस्तेमाल किया और अपने ड्राइवर के जरिए फोन मंगवारया। जिसके माध्यम से उन्होंने अपने जानने वालों से बात की। पीठ ने कहा कि जब आरोपित हिरासत में होने के दौरान ऐसा कर सकता है तो फिर जमानत मिलने पर वह गवाहों को प्रभावित करने के साथ सुबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है।