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Delhi violence: स्कूल मालिक की जमानत रद करने की मांग वाली पुलिस की याचिका खारिज

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक निजी स्कूल के मालिक को दी गई जमानत रद्द करने की दिल्ली पुलिस की याचिका को खारिज क

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 05:35 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 05:35 PM (IST)
Delhi violence: स्कूल मालिक की जमानत रद करने की मांग वाली पुलिस की याचिका खारिज
Delhi violence: स्कूल मालिक की जमानत रद करने की मांग वाली पुलिस की याचिका खारिज

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगा मामले में आरोपित राजधानी स्कूल के मालिक फैजल फारुख की जमानत को रद करने की मांग को लेकर पुलिस द्वारा दायर की गई ताजा याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसी ही याचिका पहले से पीठ के समक्ष लंबित है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की पीठ ने कहा कि निचली अदालत के 20 जून के आदेश को चुनौती देते हुए पहले ही एक याचिका दायर है।

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यह याचिका केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसल अमित महाजन की तरफ से दाखिल की जा चुकी है। ऐसे में अब यह नई याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है। ताजा याचिका विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद की तरफ से दाखिल की गई थी।

अमित प्रसाद ने कहा कि उन्हें दंगा मामले में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए उपराज्यपाल ने नियुक्त किया है। प्रसाद पीठ के समक्ष कहा कि उन्होंने पहले निचली अदालत में फैजल की जमानत को रद करने की मांग की थी। जिसमें उन्होंने शिकायतकर्ता के बेटे को अज्ञात नंबर से आरोपित की तरफ से जान से मारने की धमकी देने के आधार पर जमानत रद करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने याचिका रद करते हुए हाई कोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी है।

वहीं, दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसल राहुल मेहरा ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह पीछे के रास्ते से आने का तरीका है। उन्होंने कहा कि आखिर कैसे एक ही मामले में दो याचिका दायर हो सकती है। रजिस्ट्री ने इस तरह की याचिका को सूचीबद्ध करने की अनुमति ही क्यों दी। इससे पहले 2 जुलाई को केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार के बीच प्रतिनिधित्व को लेकर हुए विवाद को देखते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कैट की पीठ ने फैजल फारुख की जमानत पर लगाई गई अंतरिम रोक को हटा दिया था।

पीठ ने कहा था कि केंद्र व दिल्ली सरकार के बीच यह विवाद 22 जून को हुई पहली सुनवाई से चल रहा है और आगे भी चलने की संभावना है। ऐसे में अगर अंतरिम जमानत पर रोक जारी रहती है तो यह आरोपित के साथ पक्षपात होगा। पीठ ने इसके साथ ही केंद्र व दिल्ली सरकार को विवाद पर लिखित शपथ पत्र पेश करने को कहा कि क्या उपराज्यपाल दिल्ली दंगा मामले में पुलिस का प्रतिनिधित्व करने सॉलिसिटर जनरल, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल या केंद्र की तरफ से किसी अन्य अधिवक्ता को नियुक्त कर सकते हैं।


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