Delhi: नहीं टूटेंगी मजलिस पार्क मेट्रो स्टेशन के पास की झुग्गियां, हाई कोर्ट का सुनवाई से इनकार
मजलिस पार्क मेट्रो स्टेशन के पीछे एक खाली सरकारी जमीन पर बनी झुग्गियों को ध्वस्त करने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। उत्तर-पश्चिम दिल्ली में मजलिस पार्क मेट्रो स्टेशन के पीछे एक खाली सरकारी जमीन पर बनी झुग्गियों को ध्वस्त करने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि सरकारी जमान पर कथित तौर पर कुल लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी याचिका वापस लेने का सुझाव भी दिया।
दरअसल याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि अभी हाल में ही यहां पर अतिक्रमण में वृद्धि हुई है। अगर इसे नहीं तोड़ा गया तो यह क्षेत्र मुंबई की धारावी जैसा बदल सकता है। बता दें कि मुंबई के धारावी की झुग्गियां एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती मानी जाती हैं।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसने संबंधित विभाग के अधिकारियों को भी शिकायतें भेजी हैं। लेकिन अतिक्रमण हटाने के लिए आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
चांदनी चौक में अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी निगम की
वहीं, चांदनी चौक में राहगीरों के चलने के रास्तों से अतिक्रमण हटाने के संबंध में हाई कोर्ट ने एक आदेश में संशोधन किया है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, केएम जोसफ और इंदु मल्होत्र की पीठ ने कहा कि अवैध अतिक्रमण हटाने की प्राथमिक जिम्मेदारी नगर निगम की है और दिल्ली सरकार को इस कवायद में मदद करनी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दिल्ली निगम अधिनियम, 1957 की धारा 317 (2) के तहत अतिक्रमण हटाने का उत्तरदायित्व नगर निगम के आयुक्त पर है। उच्चतम न्यायालय इस संबंध में उच्च न्यायालय के 14 नवंबर, 2019 के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार की अपील पर सुनवाई कर रहा था। उच्च न्यायालय ने चांदनी इस संबंध में जिम्मेदारी दिल्ली सरकार और विशेष रूप से अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) की बताई थी।
इससे पहले 2015 में एनजीओ ‘मानुषी संगठन’ की एक याचिका पर नगर निगम को चांदनी चौक की सड़कों पर धार्मिक इमारतों का अतिक्रमण हटाने का निर्देश देने और सरकार तथा पुलिस को पूरा इसमें सहयोग देने को कहा था।