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    Delhi News: डीयू छात्रा की हत्या मामले में दोषी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार

    By Jagran NewsEdited By: Prateek Kumar
    Updated: Tue, 01 Nov 2022 04:05 PM (IST)

    Delhi University Student Murder Case वर्ष 2011 में दक्षिण दिल्ली के धौला कुआं के शांतिनिकेतन इलाके में डीयू छात्रा की हत्या के मामले में दोषी करार दे ...और पढ़ें

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    छात्र की हत्या के मामलें निचली अदालत ने अपीलकर्ता को वर्ष 2017 में ठहराया था दोषी।

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वर्ष 2011 में दक्षिण दिल्ली के धौला कुआं के शांतिनिकेतन इलाके में डीयू छात्रा की हत्या के मामले में दोषी करार देने और आजीवन कारावास के निर्णय को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। दोषी की दोषसिद्धि और सजा पर निचली अदालत के आदेशों के खिलाफ दोषी विजय सैनी उर्फ राम सिंह की अपील खारिज करते हुए न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता व अनीश दयाल की पीठ ने कहा कि मृतका की मौत स्पष्ट रूप से फायर-आर्म की चोट के कारण हुई थी और अपराध के पीछे का मकसद भी स्पष्ट था।

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    पीठ पर चली थी गोली

    अदालत को सूचित किया गया था कि अपीलकर्ता ने मृतका की पीठ पर एक गोली चलाई थी और इसके कारण उसकी मौत हो गई थी। अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता का अपराध उचित संदेह से परे साबित हुआ है और सबूत इसका समर्थन करते हैं।

    छेड़ने की घटना पर हुआ था विवाद 

    अपराध के हथियार की बरामदगी अपीलकर्ता के बयान के आधार पर हुई थी और मृतिका के इलाके के कुछ लोगों ने घटना से दो-तीन साल पहले अपीलकर्ता को मृतिका का पीछा करने और छेड़ने के लिए पीटा था।अभियोजन पक्ष के अनुसार दोषी विजय सैनी उर्फ ​​राम सिंह ने मृतका राधिका तंवर का पीछा किया और जब उसने उसकी बातों को खारिज कर दिया तो उसने आठ मार्च 2011 को एक देशी पिस्टल से उसे गोली मार दी थी।

    अदालत ने ठहराया था दोषी

    निचली अदालत ने वर्ष 2017 में अपीलकर्ता को शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया था। इस मामले में अदालत ने तीन अन्य लोगों तबरेज अहमद, शेख शेखू और अशरफ अली को भी इस मामले में दोषी ठहराया था। इन सभी पर युवती की हत्या करने के बाद अपीलकर्ता को आश्रय दिया। हालांकि, तीनों ने अपनी सजा और सजा को चुनौती नहीं दी।

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