Delhi News: छोरे ही नहीं हमारी छोरियां भी खेल के मैदान में लट्ठ गाड़ रहीं, जातिवाद और भ्रष्टाचार से मुक्त हो रहा हरियाणा- खट्टर
हरियाणा के मुख्यमंत्री चाणक्यपुरी स्थित अशोक होटल में पांचजन्य और आर्गनाइजर पत्रिका के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें डा. हेडगेवार यूनिवर्सिटी से संस्कार मिले हैं ऐसे में हरियाणा की पहचान बदलने में काफी सहायता मिली है।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि उनका राज्य जातिगत व्यवस्था और भ्रष्टाचार से मुक्त हो रहा है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण बिना किसी भेदभाव के हरियाणा के सभी क्षेत्र और लोगों के विकास की मंशा है। हमने 'एक हरियाणा, हरियाणवी एक' का नारा दिया। इसका लाभ भी मिला, भेदभाव में कमी आई है।
आज हमारा युवा समाज का एक बड़ा हिस्सा ऐसा तैयार हो चुका है जो, जाति को विकास में बाधा मानता है। लोगों में भी जागरूकता बढ़ी है। वैसे, राजनीति में अपने स्वार्थ के लिए लोग जाति का सहारा लेते हैं, लेकिन पिछले आठ साल में जातिगत नेता पीछे रह गए हैं। जातिगत विषय अब पीछे होता जा रहा है। हमारा मकसद है कि लोग खुश रहें। इसी तरह शासन प्रशासन में तकनीक के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल ने भ्रष्टाचार को कम करने में मदद की।
वह चाणक्यपुरी स्थित अशोक होटल में पांचजन्य और आर्गनाइजर पत्रिका के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें डा. हेडगेवार यूनिवर्सिटी से संस्कार मिले हैं, ऐसे में हरियाणा की पहचान बदलने में काफी सहायता मिली है।
उन्होंने कहा कि हमारे छोरे ही नहीं बल्कि छोरियां भी खेल के मैदान में लट्ठ गाड़ रही हैं। हरियाणा देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने वाले को सबसे ज्यादा नकद ईनाम देने में अव्वल है। हम गोल्ड लाने वाले अपने खिलाड़ी को छह करोड़ रुपये जबकि सिल्वर या ब्रॉन्ज लाने वाले को 2.5 या तीन करोड़ देते हैं।
इसके साथ ही प्रदर्शन के आधार पर क्लास वन से लेकर ग्रुप डी तक में नौकरी भी देते हैं। यही नहीं चौथे स्थान पर रहने वाले को भी 50 लाख देते हैं। साथ ही खिलाड़ियों के लिए नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण रखा है। यही कारण है कि खेल के क्षेत्र में युवा देश दुनिया में नाम कमा रहे हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के स्वाल पर उन्होंने कहा कि आज तकनीक का जमाना है। कोरोनाकाल में ऑनलाइन शिक्षा वक्त की जरूरत बन गई थी। लेकिन हर किसी बच्चे के पास इतनी सुविधाएं नहीं थीं कि वह आनलाइन क्लासें कर सके। ऐसे में हमने 650 करोड़ के टैबलेट 12वीं, 11वीं और 10वीं के बच्चों को बांटे ताकि उनकी शिक्षा में बाधा न आए। साथ ही टीचर्स में भी 33 हजार टैबलेट बांटे। उन्होंने कहा कि नई तकनीक के उपयोग से योजनाएं लागू करने में मदद मिलती है।
खत्म किया शिक्षा व्यवस्था में ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल
पहले शिक्षा विभाग में स्थानांतरण का ही काम होता था। हम इसकी नीति लाए। इसे लेकर 92 फीसद टीचर खुश हैं। इसी तरह, स्वामित्व योजना लाए, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बहुत पसंद आई और उन्होंने इसे पूरे देश में लागू करवाने को कहा।
परिवार पहचान योजना भी एक ऐसी ही जनता के हित के लिए है। इसमें हमारे पास परिवार का पूरा डाटा होता है। अभी तक 69 लाख परिवारों को पहचान परिवार पत्र मिल चुका है। इसके जरिए इन परिवारों को 300 से ज्यादा योजनाओं से जोड़ा गया है और उन्हें बार बार अपने कागज नहीं दिखाने पड़ते। इसके अलावा अंत्योदय योजना है, इसमें वो परिवार आते हैं जिनकी सालाना आय एक लाख से कम है। इस योजना के तहत ऐसे परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोजगार दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि हर किसी से, यहां तक कि अपने विरोधी से भी कुछ सीखने को मिलता है तो मैं पीछे नहीं हटता। मैं तमिल और जापानी भाषा भी बोल सकता हूं। इसके लिए मैंने ट्यूटर भी रखा था। इससे कामकाज में भी मदद मिलती है।