Happy Birthday Kiran Bedi : हाथ में रहता था दिल्ली का नक्शा, किरण बेदी ने उठवा ली थी PM इंदिरा गांधी की कार
Happy Birthday Kiran Bedi देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी (Kiran Bedi) शुक्रवार यानी 9 जून को अपना 74वां जन्मदिन मनाएंगी। वह जब दिल्ली में नई थीं तब हाथ में राजधानी का नक्शा लेकर चलती थीं।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी (Kiran Bedi) किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। वह अपने निडर और बेबाक स्वभाव के लिए बेहद चर्चित हैं। इसके साथ ही उन्होंने समाज सुधार की दिशा में भी सराहनीय काम किया है। वह 9 जून को अपना 74वां जन्मदिन मनाएंगी।
35 वर्षों की सर्विस के दौरान बेदी ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और कई महत्वपूर्ण अवार्ड्स भी प्राप्त किए। इसके बाद वह 4 साल से ज्यादा वक्त तक पुदुचेरी की उपराज्यपाल रहीं।
पूर्व आइपीएस अधिकारी किरण बेदी के निडर स्वभाव को लेकर कई किस्से सुनने को मिलते हैं। उनमें एक यह है कि एक रिक्शे वाले ने उन्हें "क्रेन बेदी' नाम दिया था। अपनी पुस्तक फियरलेस गर्वेंनेस के हिंदी अनुवाद निर्भीक प्रशासन का विमोचन पर खुद किरण बेदी ने "क्रेन बेदी' नाम रखे जाने के पीछे की कहानी बताई थी।
उठवा ली थी इंदिरा गांधी की कार
किरण बेदी ने बताया था कि 1982 में जब अमृतसर से दिल्ली पुलिस में पोस्टिंग हुई तो उन्हें उपायुक्त ट्रैफिक बनाया गया। वह दिल्ली में उस समय बिल्कुल नई थीं उन्हें राजधानी की सड़कों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।
ऐसे में वह ट्रैफिक व्यवस्था को समझने के लिए अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली का नक्शा लेकर भ्रमण करती थीं। इस दौरान उन्हें रास्ते में या नो पार्किंग में कोई वाहन खड़ा हुआ मिलता था तो वह उसे क्रेन से उठवा लिया करती थीं।
उस वक्त उन्होंने दिल्ली की सड़कों को जाममुक्त करने के लिए सड़कों पर अवैध रूप से खड़ी और नो पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को उठा लिया था। इतना ही नहीं उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और सीबीआई के निदेशक तक की गाड़ी उठवा ली थी।
16 फरवरी, 2021 तक रहीं पुदुचेरी की उपराज्यपाल
9 जून, 1949 को जन्मी किरण बेदी एक भारतीय राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और टेनिस खिलाड़ी हैं, उन्होंने 28 मई, 2016 से 16 फरवरी, 2021 तक पुदुचेरी की 24वीं उपराज्यपाल के रूप में काम किया।
उन्होंने एक आईपीएस अफसर के तौर पर 1972 में अपनी सेवा शुरू की थी। वर्ष 2007 में पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो की महानिदेशक के रूप में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से पहले वह 35 वर्षों तक सर्विस में रहीं।
शिक्षा-
किरण बेदी की प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर के कॉन्वेंट स्कूल में हुई। इसके बाद सन 1964-68 में उन्होंने शासकीय कन्या महाविद्यालय, अमृतसर से अंग्रेजी साहित्य ऑनर्स में स्नातक तथा सन 1968-70 में राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की। आइए भारतीय पुलिस सेवा में पहली महिला अधिकारी बनने वाली किरण बेदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं...
- किरण बेदी का जन्म अमृतसर में एक समृद्ध पंजाबी व्यवसायी परिवार में हुआ।
- उनका पालन-पोषण हिंदू और सिख दोनों परंपराओं में हुआ।
- बेदी की शिक्षा एक ईसाई स्कूल-सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट में हुई।
- उन्होंने पढ़ाई के दौरान राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) में भाग लिया था।
- जब वह 9वीं कक्षा में थी तो उन्होंने कैंब्रिज कॉलेज में दाखिला लिया, जो एक निजी संस्थान है, यहां उन्होंने साइंस स्ट्रीम में शिक्षा ली।
- अपने पिता से प्रेरित होकर बेदी ने 9 वर्ष की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया।
- युवा उम्र के दिनों में बेदी अक्सर अमृतसर में सर्विस क्लब में जाती थीं, जहां सिविल सेवकों के साथ बातचीत ने उन्हें आईपीएस बनने के लिए प्रेरित किया।
- उनकी पहली पोस्टिंग 1975 में दिल्ली के चाणक्यपुरी सबडिवीजन में हुई थी।
- उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया है। वह संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलिस स्पेशल आयुक्त (खुफिया) के पद पर कार्य कर चुकी हैं।
- वह दिल्ली जेल में महानिरीक्षक (IG) के रूप में तैनात रह चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने तिहाड़ जेल में कई सुधारों की शुरुआत की थी।
- किरण बेदी अपने होने वाले पति बृज बेदी से अमृतसर के टेनिस कोर्ट पर मिली थीं। बृज उनसे 9 वर्ष बड़े थे, उस समय वह विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस खेलते थे।
- 9 मार्च 1972 को दोनों ने स्थानीय मंदिर में एक सादे समारोह में शादी के बंधन में बंध गए। उनकी एक बेटी है जिसका नाम सुकृति है।
तिहाड़ जेल को दिलाई अलग पहचान
भारत की सबसे बड़ी जेल पहली बार पूरी दुनिया के आगे अच्छी वजह से चर्चाओं में तब आई जब देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने जेल का माहौल बदल दिया। उन्होंने अपनी पुलिस सर्विस के दौरान देश की सबसे बड़ी तिहाड़ जेल में कई बदलाव कर कैदियों के जीवन को नई दिशा दी।
उन्होंने तिहाड़ के अंदर विपस्सना सेंटर की शुरुआत कराई, ताकि अपराधियों को जुर्म की दुनिया से निकालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके। इसी पहल का नतीजा था कि साल 2014 में 60 से ज्यादा कैदियों को कई नामी कंपनियों में नौकरियां मिली।
साथ ही एक कैदी ने जेल में रहते हुए यूपीएसी (UPSC) की परीक्षा भी पास कर ली थी। इन सुधारों के लिए उन्हें वर्ष 1994 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (Ramon Magsaysay Award) से नवाजा गया।