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बारिश से पहले ऐसी लापरवाही कहीं भारी ना पड़ जाए हमें -Gurugram News

गुरुग्राम के नगर निगम क्षेत्र में करीब 350 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बने हुए हैं। मगर सिस्टम की सफाई नहीं होने के कारण ये पानी बचाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं।

By Edited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 07:24 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 03:52 PM (IST)
बारिश से पहले ऐसी लापरवाही कहीं भारी ना पड़ जाए हमें -Gurugram News
बारिश से पहले ऐसी लापरवाही कहीं भारी ना पड़ जाए हमें -Gurugram News

गुरुग्राम, जेएनएन। नगर निगम क्षेत्र में 350 रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग सिस्टम बने हुए हैं। इन सिस्टम की सफाई नहीं हो रही है। नगर निगम की ओर से इन सिस्टम की सफाई और मरम्मत का कार्य 15 जून तक करने का समय निर्धारित किया गया था। लेकिन, रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग सिस्टम की सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दी गई है। काफी जगहों पर इन सिस्टम में कचरा भरा पड़ा है। ऐसे में औसतन करीब 600 से 700 एमएम बारिश के पानी को संचय करने के कोई इंतजाम नहीं है।

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बारिश का पूरा पानी नालों और सड़कों पर बह जाता है। रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग सिस्टम और वर्षा जल बचाने के दावे करने वाला सरकारी महकमा भी इंतजामों के मामले में फेल साबित हो रहा है। ज्यादातर रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग सिस्टम सालों से बंद पड़े हैं। शहर में दिनोंदिन आबादी बढ़ने के चलते पानी की खपत भी बढ़ती जा रही है। हर साल शहर में पानी की किल्लत हो जाती है।

सिर्फ नहरी पानी से करीब 30 लाख आबादी की प्यास नहीं बुझ सकती है। इसलिए नगर निगम क्षेत्र में करीब 650 बोरवेल लगे हुए हैं। इससे कहीं ज्यादा हजारों की संख्या में प्रतिबंध के बावजूद बोरवेल चलाकर जमीन से जल दोहन किया जा रहा है, लेकिन भूजल को रिचार्ज करने के लिए बनाए रेन हार्वेस्‍ट‍िंग सिस्टम देखरेख के अभाव में बेकार हो गए हैं। अगर रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग को दुरुस्त कर दिया जाए तो भूजल को रिचार्ज किया जा सकता है।

बोरवेल से जलदोहन, सूख रहा पानी नगर निगम क्षेत्र के ज्यादातर गांवों में बोरवेल से पानी की सप्लाई हो रही है। नहरी पानी इन गांवों में नहीं पहुंचा है। निगम के मोहम्मदपुर झाड़सा, नरसि‍ंहपुर, खेड़की दौला, सिही, गाडौली खुर्द, खांडसा, हरसरू, चौमा, मोलाहेड़ा, डूंडाहेड़ा, कार्टरपुरी, नाथूपुर, सिकंदरपुर घोसी, चकरपुर, सिलोखरा, कन्हई, वजीराबाद, घाटा, ग्वाल पहाड़ी, इस्लामपुर, समसपुर, तिघरा, घसौला, टीकरी, फाजिल्पुर झाड़सा, बहरामपुर, बेगमपुर खटौला, नाहरपुर रूपा, बादशाहपुर, सराय अलावर्दी, धनवापुर, बसई, गाडौली कलां, कादीपुर, सरहौल और झाड़सा में बोरवेल ही मुख्य रूप से पेयजल आपूर्ति का साधन है। इन गावों में कुछ में नहरी और बोरवेल दोनों से पानी की सप्लाई की जा रही है। ज्यादा जल दोहन के कारण बोरवेल सूखने लगे हैं।

रेन वाटर हार्वेस्‍टिंग नियम
निजी इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग लगाने के लिए बने हैं नियम 
-रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग सिस्टम में सिर्फ साफ पानी जाना चाहिए। इमारत या उसके आसपास की गंदगी रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग में नहीं जाना चाहिए।
-रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग सिस्टम अच्छी तरह ढंका होना चाहिए। पहली बारिश के पानी के लिए अलग से इंतजाम होने चाहिए।
-वर्षा जल को फिल्टर करने के लिए भी इंतजाम हो, ताकि रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग में किसी तरह कोई कचरा न जाए।
-सीवरेज लाइन, इंडस्ट्रियल वेस्ट पाइपलाइन आदि वाटर रिचार्ज वेल से कम से कम 10 मीटर दूरी पर होनी चाहिए, ताकि लीकेज के दौरान गंदगी जमीन में न रिस सके।
-बिल्डिंग प्लान अप्रूवल की एप्लीकेशन में रेन वाटर हार्वेस्‍ट‍िंग का नक्शा दर्शाना होगा, साथ ही हुडा या निगम के अधिकारी बिल्डिंग निर्माण के बाद उसका मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे।


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