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तीन हजार सैन्यकर्मियों से मांगा 118 करोड़ रुपये मुआवजा, सात साल बाद मिला नोटिस

भोपाल सब एरिया मुख्यालय में तैनात एक कर्नल ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका। हाई कोर्ट ने केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार, जीएनआइडीए और एडब्ल्यूएचओ को दिया नोटिस।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 05:09 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 05:09 PM (IST)
तीन हजार सैन्यकर्मियों से मांगा 118 करोड़ रुपये मुआवजा, सात साल बाद मिला नोटिस
तीन हजार सैन्यकर्मियों से मांगा 118 करोड़ रुपये मुआवजा, सात साल बाद मिला नोटिस

नई दिल्ली (विनीत त्रिपाठी)। ग्रेटर नोएडा स्थित आर्मी वेलफेयर हाउसिंग आर्गनाइजेशन (एडब्ल्यूएचओ) गुरजिंदर विहार फेज-3 में रहने वाले तीन हजार सैन्यकर्मियों से मुआवजे के रूप में 118 करोड़ रुपये जमा करने को लेकर भेजे गए नोटिस का मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है। मामले मं हेडक्वार्टर पश्चिम मध्य प्रदेश सब एरिया भोपाल में तैनात कर्नल रण सिंह डूडी ने हाई कोर्ट में याचिता दायर की थी।

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उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ ही ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआइडीए) और एडब्ल्यूएचओ को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई अगले साल 19 मार्च को होगी।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति व वकील सुरेंद्र कुमार गंगेले के माध्यम से दायर की गई याचिका में कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए गए। मंगलवार को विभू बाखरू की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान वकील सुरेंद्र कुमार गंगेले ने कहा कि भूमि आवंटन के बाद भू-स्वामियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और हाई कोर्ट ने वर्ष 2011 में किसानों को 520 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर पर करीब 64 फीसद अधिक दर के हिसाब से अतिरिक्त मुआवजा आवंटियों से वसूलने का आदेश दिया था।

सुरेंद्र कुमार गंगेले ने दलील दी कि वर्ष 2011 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के संबंध में आवंटियों को कोई जानकारी नहीं दी गई। वर्ष 2011 के आदेश के आधार पर 10 अक्टूबर 2015 को जीएनआइडीए ने एडब्ल्यूएचओ को नोटिस जारी कर 64 फीसद बढ़ी दर के हिसाब से मुआवजा अदा करने का नोटिस जारी किया था। जिसके तहत प्रत्येक आवंटी को 4.50 लाख रुपये यानी तीन हजार सैन्य कर्मियों से 81.60 करोड़ रुपये दिसंबर 2016 तक 15 फीसद ब्याज के साथ जमा करने को कहा था। आरएस डूडी के वकील ने कहा कि कोर्ट के आदेश के तहत आवंटियों को करीब 38 करोड़ रुपये बतौर मुआवजा अदा करने थे, जोकि चार गुना बढ़कर करीब 118 करोड़ रुपये हो गए हैं।

सात साल बाद मिला मुआवजा देने का नोटिस

याचिका के अनुसार, वर्ष 2011 में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश पर 4 सितंबर 2018 को एडब्ल्यूएचओ के प्रबंध निदेशक ने गुरजिंदर विहार के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष को नोटिस भेजकर प्रत्येक आवंटी को मुआवजा की राशि जमा करने को कहा। गुरजिंदर विहार में करीब तीन हजार सर्विस और सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी रह रहे हैं। ऐसे में उन्हें मुआवजे के रूप में करीब 118 करोड़ रुपये देने होंगे।

भू-स्वामियों ने नहीं दाखिल की कोई याचिका

याचिकाकर्ता कर्नल डूडी ने इस बाबत इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का अवलोकन किया तो पता चला कि ग्रेटर नोएडा के गांव भगमलपुर के जिन तीन ग्रामीणों की जमीन को एडब्ल्यूएचओ के लिए अधिगृहीत किया गया था, उनकी तरफ से न तो कोई याचिका दायर की गई थी और न ही उन्होंने किसी अतिरिक्त मुआवजे की मांग ही की है। कर्नल डूडी मेरठ स्थित पश्चिम उत्तर प्रदेश सब एरिया मुख्यालय में भी तैनात रह चुके हैं।

सैन्यकर्मियों को मुफ्त जमीन का आदेश

याचिकाकर्ता आरएस डूडी ने याचिका में केंद्र सरकार के तत्कालीन अवर सचिव एनके सेन गुप्ता द्वारा 15 जून 1964 को जारी किए गए उस आदेश का हवाला दिया, जिसके तहत केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को आदेश दिया था कि सेना को सांस्कृतिक और आवासीय कार्य के लिए आवंटित होने वाली भूमि मुफ्त में दी जाएगी। इसके तहत जीएनआइडीए ने 100 एकड़ जमीन एडब्ल्यूएचओ को 550 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर के हिसाब से (करीब 30 लाख रुपये प्रति फ्लैट) पूर्व व सेवारत सैन्यकर्मियों के लिए फ्लैट बनाने के लिए आवंटित की थी। भवनों का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद आवंटियों को 2010 में भवन का कब्जा दे दिया गया था।


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