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जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट: सरकार करेगी 20,000 करोड़ रुपये का निवेश

इस प्रोजेक्ट पर 20,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इससे नए रोजगार सृजित होंगे। वर्ष 2003 में प्रदेश सरकार ने जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का प्रोजेक्ट तैयार किया था, जिसको परवान चढ़ाने के कई प्रयास हुए।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 25 Jun 2017 11:34 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 11:05 AM (IST)
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट: सरकार करेगी 20,000 करोड़ रुपये का निवेश
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट: सरकार करेगी 20,000 करोड़ रुपये का निवेश

नोएडा/लखनऊ [ जेएनएन ] । वनवास काट कर सत्ता में लौटी भाजपा सरकार ग्रेटर नोएडा के जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रोजेक्ट का 14 साल पुराना गतिरोध तीन माह में ही खत्म कराने में सफल हो गई है। केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय ने शनिवार को जेवर में हवाई अड्डा निर्माण की अनुमति प्रदान कर दी।

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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के इस प्रोजेक्ट पर 20,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इससे नए रोजगार सृजित होंगे। वर्ष 2003 में प्रदेश सरकार ने जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का प्रोजेक्ट तैयार किया था, जिसको परवान चढ़ाने के कई प्रयास हुए।

प्रोजेक्ट कई बार राजनीतिक भंवर में उलझा। इस एयरपोर्ट के लिए दूसरे स्थानों का चयन किया गया, मगर कोई न कोई पेंच लगता रहा और 14 साल गुजर गया। अब केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ऑपरेशन कमेटी ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रदान कर दी है।

राज्य सरकार के प्रवक्ता व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने संयुक्त पत्रकार वार्ता में बताया कि यह एयरपोर्ट 3000 हेक्टेयर (करीब 7413 एकड़) में बनाया जाएगा। जमीन का अधिग्रहण यमुना एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (वाईईआईडीए) करेगी।

एयरपोर्ट का निर्माण होने से नोएडा, आगरा, मथुरा, वृंदावन, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर और मुरादाबाद जिलों के लोगों को न सिर्फ हवाई सुविधा मिल सकेगी बल्कि इन क्षेत्रों का विकास भी तेजी से होगा। इस एयरपोर्ट के क्रियाशील होने में पांच से छह साल लगने की संभावना है।

पहले चरण में एक हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। सिंह ने बताया कि यह एयरपोर्ट पीपीपी मॉडल पर बनेगा, मगर इसके लिए कौन से मॉडल अपनाया जाए, इस पर जल्द निर्णय होगा। 

टूरिज्म इंडस्ट्री को बहुत लाभ

सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से प्रतिवर्ष छह करोड़ यात्री गुजरते हैं। वर्ष 2020 तक यह संख्या 10 करोड़ 90 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। दिल्ली एयरपोर्ट की अधिकतम क्षमता 11 करोड़ यात्री की हो सकती है।

इसीलिए दिल्ली-एनसीआर में दूसरे इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जरूरत महसूस की जा रही थी। केंद्र सरकार ने तत्कालीन राज्य सरकार से जल्द मानक पूरा करने के लिए कहा रहा था, मगर उस सरकार ने रुचि नहीं दिखाई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिलचस्पी दिखाने पर केंद्र सरकार ने मंजूरी प्रदान की है। दावा किया कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास आगरा और वृंदावन होने से टूरिज्म इंडस्ट्री को लाभ होगा। एयरपोर्ट के पास फॉर्मास्यूटिकल पार्क का निर्माण भी कराया जाएगा। एयरपोर्ट परिसर में कार्गो हब बनाने की योजना है।


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