फेफड़ों के लिए खतरनाक है ई-सिगरेट, बैन की तैयारी में भारत
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डायरेक्टर अमल पुष्प ने कहा कि सरकार ई-सिगरेट को लेकर चिंतित हैं। जल्द ही इसके लिए कायदे-कानून बनाए जाएंगे।
नोएडा [प्रभात उपाध्याय]। युवाओं में ई-सिगरेट की बढ़ती लत की समस्या को देखते हुए अब भारत इसपर लगाम लगाने की तैयारी कर रहा है। जल्द ही इसके लिए कायदे-कानून बनाए जाएंगे। दूसरे चरण में इसके पूर्ण प्रतिबंध यानी बैन की तैयारी है।
ग्रेटर नोएडा में आयोजित डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) कॉप-7 में ई-सिगरेट के बढ़ते इस्तेमाल और इसके दुष्प्रभावों पर विस्तार से चर्चा हुई। कॉप-7 में शामिल उन देशों से ऐसे उत्पादों पर बैन या इसकी खरीद-फरोख्त के लिए नियम बनाने को कहा गया जहां अभी कोई व्यवस्था नहीं है। दूसरी तरफ ई-सिगरेट का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के अध्ययन की भी जरूरत बताई गई और कॉप-7 में शामिल देशों से बिना पूर्वाग्रह के इसका अध्ययन करने को कहा गया।
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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डायरेक्टर अमल पुष्प ने कहा कि सरकार ई-सिगरेट को लेकर चिंतित हैं और इसकी खरीद-बिक्री व सेवन के लिए को रेगुलराइज किया जा रहा है। इस पर प्रतिबंध भी लगाने की तैयारी की जा रही है। गौरतलब है कि भारत में खासकर युवा तेजी से ई-सिगरेट की चपेट में आ रहे हैं।
क्या है ई-सिगरेट
ई-सिगरेट (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट) छोटी बैटरी से चलने वाला ऐसा उपकरण है जो निकोटीन (तंबाकू) का स्वाद देने के लिए खास तरीके से बनाया जाता है। इसे वेप कलम, ई-हुक्का, हुक्का पेन या वेप पाइप आदि के रूप में भी जाना जाता है। ई-सिगरेट में एक टंकी होती है जिसको भरा भी जा सकता है। इसमे धुएं के बजाय भाप निकलती है। बाजार में ई-सिगरेट के 250 से अधिक ब्रांड है और तेजी से बिक्री बढ़ी है।
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ई-सिगरेट का सेवन करने वाले युवा तीन गुना बढ़े
एक रिपोर्ट के मुताबिक ई-सिगरेट का सेवन करने वाले युवाओं की संख्या पिछले दो सालों में तीन गुना से अधिक बढ़ी है। ई-सिगरेट के सेवन से फेफड़े खराब का होने का खतरा रहता है। क्योंकि ई-सिगरेट का सेवन करने वाला युवा धुएं के बजाए भाप को अदर लेता है। इससे फेफड़े सही तरीके से कार्य नहीं कर पाते है। दूसरी तरफ ई-सिगरेट में टेट्रामिथाइलपैराजीन नामक रसायन होता है। वे लेाग जो बहुत सालों से ई-सिगरेट का सेवन कर रहे है, उनका ब्रेन डैमेज होने का चांस बढ जाता है। साथ ही इससे कैंसर होने का खतरा भी है।