Move to Jagran APP

Seminar in ARSD college: अतीत से बहुत कुछ सीख सकते हैं, हमें गांधी से सीखना होगा : दिनेश सिंह

दक्षिण दिल्ली में धौला कुआं स्थित आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय (Atma Ram Sanatan Dharma College) में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और चुनौतियां विषय एक सेमिनार का आयोजन हुआ।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 06:12 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 08:13 PM (IST)
Seminar in ARSD college: अतीत से बहुत कुछ सीख सकते हैं, हमें गांधी से सीखना होगा : दिनेश सिंह
Seminar in ARSD college: अतीत से बहुत कुछ सीख सकते हैं, हमें गांधी से सीखना होगा : दिनेश सिंह

नई दिल्‍ली, जेएनएन। दक्षिण दिल्ली में धौला कुआं स्थित आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय (Atma Ram Sanatan Dharma College) में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति और चुनौतियां' विषय एक सेमिनार का आयोजन हुआ। 

loksabha election banner

नीतियों को लेकर अनावश्यक बहस का कोई फायदा नहीं

सेमिनार के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर दिनेश सिंह ने वर्तमान में व्यवहार परक शिक्षा के अभाव को रेखांकित किया। अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि हम हमेशा नीतियों को लेकर झगड़ते और अनावश्यक बहस करते रहते हैं। यह शिक्षा को लेकर अतिवादी सोच है। ज़रूरत इस बात की है कि शिक्षा नीति में नियम कम और प्रतिभा के विकास और सम्मान के लिए ज्यादे जगह होनी चाहिए।

छात्रों को मिले व्यावहारिक शिक्षा

प्रोफेसर दिनेश सिंह ने यह भी कहा कि छात्रों को अगर व्यावहारिक शिक्षा दी जाए तो उनके भीतर ज्ञान और कौशल दोनों का विकास होगा। उन्होंने गांधी को याद करते हुए कहा कि आज हम गांधी को याद करते हैं जीते नहीं। जैसे गांधी हद से ज्यादा पढने को अच्छा नहीं मानते थे और 'नॉलेज विदआउट एक्शन' ( नॉलेज विदआउट एक्शन इज मीनिंगलेस) के हिमायती नहीं थे। वैसे ही आज हमें शिक्षा को तकनीकी, ज्ञान और कौशल को एक साथ जोड़ते हुए प्रतिभा के विकास के लिए एक उन्मुक्त वातावरण तैयार करना चाहिए।

गांधी से सीखने की जरूरत

संबोधन में दिनेश सिंह ने यह भी कहा कि कुछ अपने अतीत से सीख सकते हैं, हमें कुछ गांधी से सीखना होगा।साथ ही तथा तकनीक और कौशल से शिक्षा शिक्षा को लैस करते हुए हैंड्सऑन प्रोजेक्ट्स के द्वारा के द्वारा शोधपूर्ण शिक्षा देने का प्रयास करें।

शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन अनिवार्य : प्रधानाचार्य ज्ञानतोष झा

'राष्ट्रीय शिक्षा नीति और चुनौतियां' विषय पर अपने विचार रखते हुए कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. ज्ञानतोष कुमार झा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में लगातार परिवर्तन अनिवार्य होता है। शिक्षा जगत में यह बदलाव समाज और देश से जुड़ा होना चाहिए, ताकि उसकी प्रासंगकित भी बनी रहे। शिक्षा जगत में बदलाव को लेकर चुनौती हमेशा बनी रहती है, साथ ही शिक्षाविदों का यह दायित्व भी है कि वे इस बदलाव और चुनौती में सामंजस्य बिठाएं।

वर्तमान शिक्षा नीति शिक्षा की उदारवादी सोच

वहीं, सेमिनार में अपने संबोधन में यूजीसी संयुक्त सचिव डॉ. अर्चना ठाकुर ने शिक्षा के संदर्भ में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति शिक्षा की उदारवादी सोच, व्यावहारिक और उपयोगी शिक्षा, भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने और प्राचीन भाषाओं में मौजूद ज्ञान को वर्तमान शिक्षा से जोड़कर उसका लाभकारी उपयोग करने पर बल देती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार तीन स्तरीय उच्च शिक्षण संस्थानों की योजना प्रस्तावित कर रही है।

  •  सभी विषयों में विश्व स्तरीय शोध एवं उच्च गुणवत्ता के शिक्षण संस्थान ।
  •  उच्च स्तरीय शिक्षा पर बल शोध की संभावना से पूर्ण शिक्षण संस्थान।
  •  उच्च स्तरीय गुणवत्तापूर्ण शिक्षण को आगे बढ़ाने वाले शिक्षण संस्थान।

मणिपुर और दिल्ली की स्थिति में अंतर
विनीत जोशी ने समाज के सभी तबके के लिए उपयोगी और व्यवहारिक शिक्षा की उपलब्धता की बात उठाई । अपने अनुभवों के आधार पर बताते हुए नई शिक्षा नीति में इस पहलू के समावेश का सवाल उठाया। साथ ही शिक्षा और परीक्षा में मौजूद अंतर को बताते हुए वर्तमान शैक्षणिक प्रवेश परीक्षा में विद्यमान समस्याओं एवं उसको दूर करने के उपायों पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि मणिपुर और दिल्ली की स्थिति और परिवेश के बीच बहुत अंतर है।

नई शिक्षा नीति में भारत की विविधताओं का हो ख्‍याल

वक्ता विनीत की ने यह भी बताया कि नई शिक्षा नीति को अंतिम रूप देते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि भारत विविधतापूर्ण देश है। कोई भी शिक्षानीति इस विविधता की उपेक्षा न कर पाए। शिक्षा में कंटेंट, स्किल और टेक्नोलॉजी के समन्वय से ही बेहतर शिक्षा संभव की जा सकती है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात यह भी कही कि आप सरकार से यह मांग कीजिए कि जब वह शिक्षा की नीतियों में बदलाव करती है तो उसी के साथ अन्य नीतियों में भी उसी तरह से बदलाव करे।

छात्रों के समग्र विकास पर हो ध्यान

उन्होंने यह उम्मीद जताई कि नई शिक्षा नीति छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान देगा। अगर हम उच्च शिक्षण संस्थानों वैश्विक स्तर का शिक्षण संस्थान बनाना चाहते हैं तो उन्हें अनावश्यक नियम क़ायदों से मुक्त करना होगा । क्योंकि शिक्षा या ज्ञान का विकास सिर्फ नीतियों के जाल बनाने से नही होता बल्कि प्रतिभाओं को उन्मुक्त प्रदर्शन करने का मौका देने से होता है। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा बहुत गहरे संकट से गुजर रही है। अगर हमारे संस्थान सिर्फ डिग्री बांटने वाले संस्थान रह जाएंगे तो आने वाले दिनों में ये शिक्षण संस्थान भी नही रह जाएंगे ।

यहां पर बता दें कि इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. ज्ञानतोष कुमार झा ने स्वागत देते हुए पूर्व कुलपति प्रोफेसर दिनेश सिंह का धन्यवाद ज्ञापन किया, जिनके कारण कॉलेज अखिल भारतीय स्तर पर नाम कर पाया। कार्यक्रम का संयोजन और संचालन डॉ. विनीता तुली ने किया।

दिल्‍ली-एनसीआर की खबरों को पढ़ने के लिए यहां करें क्‍लिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.