कम उम्र में तीन स्वर्ण पदक जीतकर दीपांशु ने किया देश का नाम रोशन
दीपांशु अपने भार वर्ग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल वाले देश के एक मात्र खिलाड़ी हैं। अब दीपांशु का लक्ष्य ओलंपिक में वेट लिफ्टिंग में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने का है।
नई दिल्ली [संजय सलिल]। निरंतर अभ्यास व कठिन परिश्रम के बलबूते 17 वर्ष की उम्र में दीपांशु प्रजापति यूक्रेन में आयोजित पावर लिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक साथ तीन स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने 90 किलो वजन भार वर्ग में यह शानदार उपलब्धि हासिल की है। दीपांशु ने खेल के पुल, पुश व फूल पावर लिफ्टिंग श्रेणियों को मिलाकर कुल 510 किलो का वजन उठाया।
दीपांशु अपने भार वर्ग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल वाले भारत के एकमात्र खिलाड़ी हैं, जबकि उनके भार वर्ग में विभिन्न देशों से कुल आठ प्रतियोगियों ने भाग लिया था। हालांकि 23 से 25 नवंबर तक यूक्रेन में आयोजित इस पावर लिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत से विभिन्न आयु व भार वर्ग में कुल 21 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था।
आत्मविश्वास के धनी दीपांशु परिवार के साथ किराड़ी के ई-ब्लॉक स्थित मंगलवार रोड पर रहते हैं। उनकी इस गौरवशाली उपलब्धि पर किराड़ी इलाके के लोगों में भी खुशी की लहर देखी जा रही है। यही कारण है कि उनके स्वर्ण पदक जीतकर यूक्रेन से किराड़ी पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने उनका जबर्दस्त तरीके से स्वागत किया और अपने होनहार लाल को फूल मालाओं से लादकर खुली जीप में पूरे इलाके में घुमाया।
संघर्षों के बीच पाई सफलता
दीपांशु निम्न मध्यम वर्ग के परिवार से आते हैं। उनके पिता जयभगवान पेशे से चालक हैं। परिवार में पिता के अलावा मां लक्ष्मी, बड़ी बहन सुष्मिता व छोटा भाई रिंकू है। परिवार में पिता ही एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं। ऐसे में उनके ऊपर ही पूरे परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी है। दीपांशु ने बताया कि इस खेल में अभ्यास करने से लेकर उक्रेन जाने में काफी खर्च आए हैं, लेकिन पिता की आमदनी इतनी नहीं है कि वे पूरे खर्चों को वहन कर पाते। ऐसे में उन्होंने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए आपात स्थिति के लिए जमा किए गए कुछ रुपये को खर्च किया तो कुछ रुपये कर्ज लेने पड़े। रुपये कम पड़े तो कुछ रिश्तेदारों ने मदद की। ऐसे में उनकी इस सफलता में पिता का बहुत बड़ा योगदान है।
इलाके के समाजसेवी बलदेवराज कहते हैं कि आज के किराड़ी के युवा नशे के चंगुल में फंसते जा रहे हैं तो दीपांशु ने मिसाल पेश किया है। ऐसे होनहार बच्चे को सरकार को आर्थिक मदद देनी चाहिए।
ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य ओपन स्कूल से 12वीं कर रहे दीपांशु अभ्यास करने के लिए रोज करीब 20 किलोमीटर की दूरी तय कर किराड़ी से मॉडल टाउन जाते हैं। वे मॉडल टाउन स्थित जिम में नित्य 12 से 13 घंटे की कड़ी मेहनत करते हैं। उनकी इसी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि वे वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाने में सफल रहे। अब दीपांशु का लक्ष्य ओलंपिक में वेट लिफ्टिंग में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने का है। इसकी तैयारी भी उन्होंने शुरू कर दी है।