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यूपी के नोएडा में एक और घोटाला, पति-पत्नी ने लगाया 17000 लोगों को चूना

निवेशकों का कहना है कि किश्त आनी बंद हुई तो उन्हें ठगी का अहसास हुआ। मामले की पहली रिपोर्ट कासना कोतवाली में बुलंदशहर के रहने वाले दीपेश शर्मा ने रविवार रात दर्ज कराई थी।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 10:27 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 10:27 AM (IST)
यूपी के नोएडा में एक और घोटाला, पति-पत्नी ने लगाया 17000 लोगों को चूना
यूपी के नोएडा में एक और घोटाला, पति-पत्नी ने लगाया 17000 लोगों को चूना

नई दिल्ली/नोएडा, जेएनएन। दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा में बाइक बोट की तरह एक और घोटाला सामने आया है। बाइक बोट की तरह ही गो वे स्कूटर टैक्सी के नाम पर 17 हजार से अधिक निवेशकों से करोड़ों रुपये की ठगी की गई है। कंपनी मालिक कार्यालय पर ताला लगाकर फरार हो गए। पति-पत्नी ने मिलकर ठगी का यह धंधा ग्रेटर नोएडा के साइट फोर स्थित कार्यालय से शुरू किया था। आरोपित पति-पत्नी की तलाश में पुलिस की टीम दिल्ली-एनसीआर में दबिश दे रही है।

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निवेशकों का कहना है कि किश्त आनी बंद हुई तो उन्हें ठगी का अहसास हुआ। मामले की पहली रिपोर्ट कासना कोतवाली में बुलंदशहर के रहने वाले दीपेश शर्मा ने रविवार रात दर्ज कराई थी। मामले में कंपनी मालिक अनिल सेन व उसकी पत्नी मीनू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। दोनों का पता साइट फोर स्थित जीएनएस प्लाजा कागजों में दर्ज है। ग्रेटर नोएडा में गो वे स्कूटर टैक्सी की शुरुआत 2018 में की गई। लोगों से रुपये ठगने के लिए एक निवेश प्लान तैयार किया गया। जिसके तहत एक स्कूटर टैक्सी के नाम पर 62 हजार रुपये जमा करवाए गए और एक साल में दो गुना वापस देने का वादा किया गया। कंपनी के शुरुआत के तीन महीने बाद ही योजना पूरी तरह से फ्लाप हो गई।

कंपनी मालिकों को जब लगने लगा कि उनकी कंपनी डूब रही है तो उन्होंने निवेशकों को किश्त देना बंद कर दिया। उनको आश्वासन देते रहे कि जल्द ही उनका बकाया भुगतान किया जाएगा। भुगतान नहीं होने पर एक साल बाद पहली एफआइआर दर्ज की गई है।

बाइक बोट कंपनी के नाम पंजीकृत हैं 172 लग्जरी कारें

बाइक बोट कंपनी के मालिक संजय भाटी की पांच दिन की रिमांड सोमवार को पूरी हो गई। पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर वापस जेल भेज दिया। रिमांड पर हुई पूछताछ के दौरान चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आए हैं। जनता से ठगी गई रकम से 172 लग्जरी कारें खरीदी गईं। सभी कंपनी के नाम पर पंजीकृत हैं। पूछताछ में पता चला है कि ऑडी, जगुआर, रेंज रोवर, फाच्यरूनर सहित कई अन्य लग्जरी कारें आरोपित ने खरीदी थीं। रियल एस्टेट, खदान व विवि में मोटी रकम निवेश की गई। दादरी के कोट गांव स्थित बाइक बोट का ऑफिस किराये पर लिया गया था। पुलिस फिर से आरोपित को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। इसके लिए कोर्ट में जल्द ही रिमांड अर्जी दाखिल की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि दादरी के कोट गांव स्थित बाइक बोट कंपनी के कार्यालय पर पिछले एक साल से निवेशकों ने कई बार हंगामा किया था। आरोप है कि बाइक के नाम पर सवा दो लाख निवेशकों से अरबों की ठगी की गई। कंपनी के मालिक संजय भाटी ने कुछ दिन पहले गौतमबुद्धनगर जिला न्यायालय में समर्पण किया था। वहीं कंपनी के फ्रेंचाइजी हेड विजय पाल कसाना को मेरठ से गिरफ्तार किया गया था।

मालखाने में रखे गए दस्तावेज

संजय भाटी से रिमांड पर पूछताछ के दौरान पुलिस ने निवेशकों को दिए जाने वाले चेक व कई अन्य दस्तावेज बरामद किए थे। बरामद किए गए दस्तावेज पांच बोरे में बंद कर दादरी कोतवाली के मालखाने में रखवाए गए हैं। रविवार रात भी पुलिस संजय भाटी को लेकर दादरी कोर्ट गांव कार्यालय पहुंची थी। वहां निवेशकों ने उससे बात करने का प्रयास किया था। इस दौरान पुलिस व निवेशकों में झड़प हुई थी।

अभी भी सामने आ रहे शिकायतकर्ता

जैसे-जैसे मामले की जांच आगे बढ़ रही है, बाइक बोट कंपनी के जाल में फंसे निवेशक सामने आ रहे हैं। कंपनी ने यूपी के अलावा, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू, गुजरात, राजस्थान सहित कई अन्य राज्यों में लोगों से ठगी की थी। पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर निवेशकों से कंपनी के खाते में डाली गई रकम की बैंक डिटेल ले ली है। जांच में इसको शामिल किया जाएगा।

बाइक बोट के खरीदी गई थी दस हजार बाइक

करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोपित संजय भाटी ने करीब दस हजार बाइक कंपनी के नाम से खरीदी थी। इन बाइकों को अलग-अलग प्रदेशों में सड़क पर उतारने की तैयारी थी। इनमें से करीब पांच हजार बाइक का पंजीकरण हो गया था, जबकि शेष बचे पांच हजार बाइक का पंजीकरण अभी नहीं हो सकता था। आरोपित संजय भाटी ने बेटे गर्वित के नाम पर कंपनी बनाई थी। उसके बेटे की साढ़े तीन साल की उम्र में ही आकस्मिक मौत हो गई थी। पुलिस ने बताया कि आरोपित संजय भाटी अलग-अलग शहरों में फ्रेंचाइजी हेड व निदेशकों को लग्जरी कार गिफ्ट करता था। जिससे कि वे ज्यादा से ज्यादा निवेशक ला सकें।

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