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Unnao Case: जरूरी हो तभी घर से जाएं बाहर, हाई कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता को दिया निर्देश

Unnao Case अदालत ने कहा कि अब से यह साफ है कि पीड़िता व उनका परिवार जब भी किसी मामले के लिए दिल्ली से बाहर जाएंगे वे सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट को इसकी जानकारी देंगे ताकि उन्हें उचित सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराया जा सके।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 07:38 PM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 07:38 PM (IST)
Unnao Case: जरूरी हो तभी घर से जाएं बाहर, हाई कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता को दिया निर्देश
उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता को तीस हजारी अदालत ने दिया निर्देश

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। उत्तर प्रदेश के उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता को तीस हजारी अदालत ने निर्देश दिया कि मुकदमा खत्म होने तक जरूरी हो तभी बाहर जाएं और बाहर जाने से पहले सुरक्षाकर्मियों को सूचित करें। जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने यह आदेश पीड़िता के उस आवेदन पर दिया, जिसमें उन्हाेंने उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दुष्कर्म पीड़िता को सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है और उनकी सुरक्षा में केंद्रीय रिवर्ज पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान तैनात किए गए हैं।

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अदालत ने कहा कि सुरक्षाकर्मी उनकी सुरक्षा में लगाए गए हैं और बाहर जाने से पहले वह उन्हें सूचित करें। अदालत ने कहा कि आप इस तरह से अपना कार्यक्रम बनाएं कि आपको हर दिन बाहर न जाना पड़े। अदालत ने इस दौरान यह भी रिकार्ड पर लिया कि पीड़िता व उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी ने आपसी सहमति से मामले को हल करने को सहमत हो गए हैं।

अदालत ने कहा कि अब से यह साफ है कि पीड़िता व उनका परिवार जब भी किसी मामले के लिए दिल्ली से बाहर जाएंगे वे सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट को इसकी जानकारी देंगे, ताकि उन्हें उचित सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराया जा सके। अदालत ने यह भी कहा कि अगर पीड़िता व उनके परिवार का सदस्य मुकदमे के संबंध में अपने अधिवक्ता से मिलना चाहते तो इसकी जानकारी एक दिन पहले सुरक्षाकर्मी को देंगे।

पीड़िता ने अपने आवेदन में आरोप लगाया था कि उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षकर्मी उन्हें स्वतंत्रता से नहीं रहने दे रहे हैं। वर्ष 2017 में पीड़िता से दुष्कर्म मामले में तीस हजारी अदालत ने उन्नाव से भाजपा के निलंबित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। चार मार्च 2020 को अदालत ने सेंगर, उसके भाई और पांच अन्य लोगों को भी पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत के लिए दोषी ठहराते हुए दस साल की सजा सुनाई थी।


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