आंखों के कैंसर का संकेत मिलते ही तुरंत कराएं बच्चे की आंखों की जांच : डा. सीमा दास
डा. दास हास्पिटल द्वारा आठ से 14 मई तक आयोजित रेटीनोब्लास्टोमा जागरूकता सप्ताह के दौरान अभिभावकों और मरीजों को जागरूक कर रही थीं। उन्होंने बताया कि यह कैंसर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होता है। अधिकतर बच्चों में यह अनुवांशिक होता है।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। किसी भी बच्चे में रेटीनोब्लास्टोमा (बच्चों में आंखों का कैंसर) का लक्षण दिखते ही तुरंत नेत्र चिकित्सक से जांच करवानी चाहिए। सही समय पर पता चलने पर 95 प्रतिशत बच्चों का पूरी तरह इलाज हो सकता है। ये बातें डा. श्राफ चैरिटी आई हास्पिटल में आक्युलर ओंकोलाजी विभाग की प्रमुख डा. सीमा दास ने कहीं।
रेटीनोब्लास्टोमा जागरूकता सप्ताह
डा. दास हास्पिटल द्वारा आठ से 14 मई तक आयोजित रेटीनोब्लास्टोमा जागरूकता सप्ताह के दौरान अभिभावकों और मरीजों को जागरूक कर रही थीं। उन्होंने बताया कि यह कैंसर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होता है। अधिकतर बच्चों में यह अनुवांशिक होता है। सही समय पर पहचान होने पर इसका इलाज संभव है। इस कैंसर का लक्षण बच्चों की आंखों में रात के समय सफेद प्रतिबिंब का दिखना है।
बिल्ली की तरह चमकती हैं आंखें
रात के समय बच्चे की आंखें बिल्ली की आंखों की तरह चमकती हैं। यह इसका सबसे पहला संकेत हैं। डा. सीमा ने बताया कि सही समय पर पता चलने पर इस कैंसर से पीड़ित होने वाले 95 प्रतिशत बच्चे पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। लेकिन, भारत में इसके प्रति जागरूकता की कमी है। इसलिए यहां बच्चों को जल्दी इलाज नहीं मिल पाता है। हास्पिटल के कार्यकारी निदेशक डा. उमंग माथुर ने कहा कि लोगों में बच्चों में आंखों के कैंसर के प्रति जागरूकता लाने में हमारी पहल कारगर होगी।