कोर्ट की फटकार के बाद ड्रग कंट्रोलर की जांच में गंभीर फाउंडेशन व आप विधायक प्रवीण कुमार मिले दोषी
दिल्ली हाई कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करते हुए ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि फैबीफ्लू की अवैध जमाखोरी और कोरोना मरीजों को इसे वितरित करने के मामले में गौतम गंभीर फाउंडेशन दोषी पाया है। एक्ट के तहत फाउंडेशन ने अवैध तरीके से दवाओं को जमा करने का अपराध किया।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कोरोना महामारी से जुड़ी दवाओं की जमाखोरी व वितरण के मामले में क्रिकेटर से सांसद बने गौतम गंभीर और आप विधायक प्रवीण कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बृहस्पतिवार को दिल्ली हाई कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करते हुए ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि फैबीफ्लू की अवैध जमाखोरी और कोरोना मरीजों को इसे वितरित करने के मामले में गौतम गंभीर फाउंडेशन दोषी पाया है। ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट के तहत फाउंडेशन ने अवैध तरीके से दवाओं को जमा करने का अपराध किया है। वहीं, इसी अधिनियम के तहत आप विधायक प्रवीण कुमार को भी दोषी पाया गया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए ड्रग कंट्रोलर को गंभीर व प्रवीण के साथ ही इसमें शामिल अन्य के खिलाफ कार्रवाई करके एक उदाहरण पेश करने काे कहा।
पुलिस की रिपोर्ट पर कोर्ट ने जतायी थी नाखुशी
इसके साथ ही मामले में आगे की कार्रवाई पर तीन सप्ताह के अंदर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 29 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। याचिकाकर्ता दीपक कुमार ने जनहित याचिका दायर कर जमाखोरी व कालाबाजारी करने के मामले में गंभीर समेत अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग की थी। पीठ ने सात मई को पहले मामले में दिल्ली पुलिस को जांच करने को कहा था, लेकिन पुलिस द्वारा रिपोर्ट में गंभीर को क्लीनचिट देने से नाखुश पीठ ने यह जांच ड्रग कंट्रोलर को सौंप दी थी। 31 मई को ड्रग कंट्रोलर द्वारा भी गंभीर को मामले में क्लीनचिट देने पर हाई कोर्ट ने रिपोर्ट खारिज करते हुए दोबारा जांच करने का निर्देश दिया था।
फटकार लगाने पर सच आया बाहर
बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने ड्रग कंट्रोलर की तरफ से पेश हुई अधिवक्ता नंदिता राव को कहा कि जब हमने फटकार लगाई तब सच बाहर आया। यह रिपोर्ट इसका सुबूत है। हमने पाया कि आपने गलती है, लेकिन अच्छा है कि आपने गलती को सुधार लिया है। हम इस प्रथा पर लगाम लगाना चाहते हैं। पीठ ने कहा कि क्योंकि कुछ लोगों के पास पैसा है और वे आसानी से खरीद सकते हैं, इसका मतलब ये नहीं है कि वे जमाखोरी करें।
मदद करने के चक्कर में दवा की हुई कमी
पीठ ने कहा कि यह नहीं होना चाहिए कि गौतम गंभीर ने लोकप्रियता हासिल करने के लिए अपने संसदीय क्षेत्र में कुछ वर्ग के लोगों के लिए दान किया, ताकि चुनाव में इसका फायदा हो। लेकिन, इसके कारण दवा की कमी हुई और सही मरीज दवा नहीं हासिल कर सके। लोगों की मदद करने का और भी तरीका हो सकता था।
बिना लाइसेंस के फाउंडेशन ने हासिल की दवाएं
ड्रग कंट्रोलर ने पीठ को बताया कि 120 मैट्रिक टन आक्सीजन सिलेंडर फाउंडेशन द्वारा लिया गया था और इसे भरवा कर गर्ग अस्पताल की मदद से जरूरतमंद मरीजों को दिया गया था। हालांकि, दवाओं को हासिल करने में गर्ग अस्पताल का कोई हाथ नहीं है। फाउंडेशन ने बिना किसी वैध लाइसेंस के डीलर से दो हजार स्ट्रिप्स खरीदी थी। इस फर्म को भी ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।