अब आपका टेस्ट लेगा कैमरा, तुरंत बता देगा पास हैं या फेल
दिल्ली सरकार ने चार स्वाचालित (ऑटोमेटेड) ड्राइविंग टेस्ट सेंटर (एडीटीसी) शुरू किए हैं। बुधवार को दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने सेंटरों की शुरुआत की।
नई दिल्ली, जेएनएन। राजधानी दिल्ली में अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है। इस दिशा में कदम उठाते हुए दिल्ली सरकार ने चार स्वाचालित (ऑटोमेटेड) ड्राइविंग टेस्ट सेंटर (एडीटीसी) शुरू किए हैं। बुधवार को दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने मयूर विहार के एडीटीसी में पहुंचकर रिमोर्ट के जरिए इन सेंटरों की शुरुआत की। साथ ही झंडी दिखाकर टेस्ट के लिए आवेदकों को टेस्ट ट्रैक पर भेजा, जहां सीसीटीवी ने उनका टेस्ट लिया।
क्या है प्रक्रिया
ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति अब ड्राइविंग का टेस्ट परिवहन विभाग के अधिकारियों को नहीं देंगे, बल्कि सीसीटीवी कैमरे यह टेस्ट लेंगे। टेस्ट पूरा होते ही आवेदक को पास और फेल के बारे में तुरंत बता दिया जाएगा।
टेस्ट ड्राइविंग की देख सकेंगे वीडियो
अगर कोई आवेदक अपनी ड्राइविंग टेस्ट का वीडियो देखना चाहे तो उसे कंट्रोल रूम में लगी स्क्रीन पर देखा जा सकता है। ये सेंटर मयूर विहार फेज-1, विश्वास नगर, सराय काले खां और शकूरबस्ती में बनाए गए हैं।
दुर्घटनाओं में आएगी कमी
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को लेकर दिल्ली सरकार काफी चिंतित है। सरकार ने इस विषय को गंभीरता से लिया और दिल्ली के इतिहास में पहली बार किसी सरकार ने एडीटीसी शुरू किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में सड़क दुर्घटनाएं कम हैं, क्योंकि वहां पर ड्राइविंग लाइसेंस के नियम कड़े हैं। एडीटीसी शुरू होने से निश्चित रूप से दुर्घटनाओं में कमी आएगी, साथ ही लाइसेंस बनवाने में पारदर्शिता आएगी।
प्रतिदिन होंगे तेरह सौ टेस्ट
लाइसेंस की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। लाइन में लगने का कोई झंझट ही नहीं है। उन्होंने कहा एक एकड़ की भूमि पर ये सेंटर बनाए गए हैं। 300 टेस्ट प्रति दिन होंगे, आवेदक अगर ज्यादा हुए तो संख्या बढ़ भी सकती है। जल्द ही इसी तरह के आठ अन्य केंद्र भी खोल जाएंगे। उन्होंने कहा अगर कोई आवेदक टेस्ट में फेल हो जाता है तो वह घबराए नहीं उसे कुछ दिन में दूसरा मौका भी मिलेगा।
इन बातों पर रहेगा ध्यान
मंत्री ने कहा यह सेंटर वैज्ञानिक रूप से डिजाइन किए गए हैं, टेस्ट में रिवर्स, यातायात जंक्शन, ओवर टेकिंग समेत कई चीजों को देखा जाएगा। साथ ही ट्रैक पर एक विशेष एग्जिट बनाया गया है, ताकि अगर कोई आवेदक टेस्ट में असफल हो जाता है तो वह दूसरे आवेदक को परेशान किए बिना एग्जिट से निकल जाए।