सुरक्षा की चुनौतियों के बीच संकरी सड़क से गुजरे पीएम मोदी, उमड़ पड़ा भावनाओं का जनसैलाब
प्रधानमंत्री को अभेद्य सुरक्षा देने में सुरक्षा एजेंसियों के पसीने छूट गए। भाजपा मुख्यालय से लेकर विजय घाट के बीच सुरक्षा की जिम्मेदारी विशेष तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड कमांडो के अलावा सेना, दिल्ली पुलिस समेत अन्य सुरक्षाबलों के हाथ में थी।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगाव ही कुछ ऐसा था कि वह उनकी अंतिम यात्रा में हर कदम उनके साथ चलना चाहते थे। भाजपा मुख्यालय से लेकर विजय घाट तक के बीच हजारों लोगों के साथ पैदल सफर तय करना जितना मुश्किल था, उससे कहीं अधिक दरियागंज चौराहे से लेकर निषाद रोड के बीच संकरी सड़क से पीएम नरेंद्र मोदी का सुरक्षा चुनौतियों के बीच गुजरना था।
घनी आबादी में हजारों लोगों के बीच प्रधानमंत्री को अभेद्य सुरक्षा देने में सुरक्षा एजेंसियों के पसीने छूट गए। भाजपा मुख्यालय से लेकर विजय घाट के बीच सुरक्षा की जिम्मेदारी विशेष तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड कमांडो के अलावा सेना, दिल्ली पुलिस समेत अन्य सुरक्षाबलों के हाथ में थी।
अंतिम दर्शन के लिए टूट पड़ी भीड़
जननायक अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम दर्शन के लिए सड़क पर उमड़े जनसैलाब को काबू करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौतीपूर्ण था। भाजपा मुख्यालय से लेकर दरियागंज चौराहे तक चौड़ी सड़क पर पीएम मोदी की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों के लिए फिर भी स्थिति को नियंत्रित करना आसान था, लेकिन जैसे ही पार्थिव शरीर के पीछे चल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दरियागंज चौराहा पार कर पुरानी दिल्ली में कदम रखा तो सड़क संकरी हो गई और सड़क के दोनों किनारे पर मौजूद भीड़ अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम दर्शन के लिए टूट पड़ी।
पीएम की सुरक्षा
दरियागंज से निषाद रोड तिराहे तक पहुंचने में काफिले को करीब आधे घंटे का वक्त लगा। इस दौरान सड़क के दोनों ओर बनी इमारतों पर तैनात पुलिसकर्मी के अलावा पीएम मोदी की सुरक्षा में लगे एसपीजी कमांडो एक तरफ जहां आम लोगों को पीएम के पास आने से रोकते रहे। वहीं, दूसरी तरफ भारी भीड़ को प्रधानमंत्री तक जाने से रोकने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं की टीम भी जगह-जगह तैनात थी और लोगों को बैरिकेडिंग के बाहर रहने की अपील कर रही थी।
अटल जी के अंतिम दर्शन के लिए दिलों में उमड़ रही भावनाओं के साथ पहुंचे लोगों को काबू करना आसान नहीं था। जहां सुरक्षा एजेंसियों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही थी, वहीं प्रधानमंत्री मोदी वाजपेयी जी के पार्थिव शरीर के साथ अपनी गति से चले जा रहे थे।