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2017 Unnao Girl Assault Case: दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुए हादसे में नहीं था कुलदीप सिंह का हाथ

2017 Unnao Girl Assault Case मामले में किसी भी गड़बड़ी से इनकार करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि शिकायतकर्ता पक्ष की आपत्तियां एक रोमांचकारी कहानी की तरह लगती हैं जो कि अनुमानों पर आधारित थी।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 09:15 AM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 09:15 AM (IST)
2017 Unnao Girl Assault Case: दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुए हादसे में नहीं था कुलदीप सिंह का हाथ
2017 Unnao Girl Assault Case: दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुए हादसे में नहीं था कुलदीप सिंह का हाथ

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के चर्चित उन्नाव कांड मामले में दुष्कर्म पीड़िता और उसके स्वजन के साथ वर्ष 2019 में हुई सड़क दुर्घटना मामले में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का हाथ नहीं होने की केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) की जांच रिपोर्ट को तीस हजारी कोर्ट ने बरकरार रखा है। मामले में किसी भी गड़बड़ी से इनकार करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि शिकायतकर्ता पक्ष की आपत्तियां एक रोमांचकारी कहानी की तरह लगती हैं जो कि अनुमानों पर आधारित थी।

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अदालत ने कहा कि सीबीआइ की जांच की निष्ठा, सटीकता एवं ईमानदारी पर संदेह का आधार नहीं है। विशेष तौर पर एजेंसी ने जांच रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला है कि आपराधिक साजिश की धारा के तहत कुलदीप सेंगर, ट्रक चालक, क्लीनर या मालिक के खिलाफ दर्ज मामले में कोई सबूत नहीं है।

31 जुलाई को दिए आदेश में अदालत ने कहा कि यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सीबीआइ द्वारा आरोप पत्र में निकाले गए निष्कर्षों के तहत आरोपितों के खिलाफ कोई मामला नहीं है जिस पर संज्ञान लेकर भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोष तय करने की कार्रवाई शुरू की जा सके। हालांकि, अदालत ने सेंगर और उसके सहयोगियों के खिलाफ आपराधिक धमकी के आरोप तय करने के साथ ही लापरवाही से मौत का कारण बनने और मानव जीवन को खतरे में डालने के लिए ट्रक चालक के खिलाफ भी आरोप तय किए। वर्ष 2019 में चाची व अधिवक्ता के साथ जा रही पीड़िता की कार में रायबरेली में एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इस घटना में पीड़िता की चाची की मौत हो गई थी, जबकि अधिवक्ता के साथ पीड़िता गंभीर रूप से घायल हो गई थी।

इस मामले में भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ हत्या समेत अन्य धारा में मामला दर्ज किया गया था। वर्ष 2017 में पीड़िता से दुष्कर्म मामले में तीस हजारी अदालत ने सेंगर समेत अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। चार मार्च 2020 को अदालत ने सेंगर, उसके भाई और पांच अन्य लोगों को भी पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत के लिए दोषी ठहराते हुए दस साल की सजा सुनाई थी।

निजी सुरक्षाकर्मी पर लगाया उत्पीड़न का आरोप

दुष्कर्म पीड़िता ने अब कोर्ट के आदेश पर सुरक्षा में तैनात निजी सुरक्षाकर्मी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने सीबीआइ जांच अधिकारी को स्थानीय पुलिस की अधिकारी की मदद से एक प्रभाव मूल्यांकन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। पीड़िता की तरफ से दिए गए आवेदन के तहत उसकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी उसे स्वतंत्रता से नहीं रहने दे रहे हैं। अदालत ने कहा कि पुलिस की तरफ से एक सीलबंद लिफाफा मिला था, इसमें पीड़िता व उसके परिवार के सदस्यों पर कुछ आरोप लगाए गए हैं। 


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