उपेंद्र के परिवार के लिए काल बनकर आई किराये की कार, जानिए- क्यों गई पत्नी-बच्चों की जान
उपेंद्र का कहना है कि उन्होंने अपने छोटे भाई के लिए यह कार किराये पर ली थी ताकि वह इसे चलाकर अपना रोजगार शुरू कर सके। यही कार उनके परिवार के तीन सदस्यों को लील गई।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। उपेंद्र के लिए किराये पर ली गई कार काल बनकर आई। हादसे से दो दिन पहले ही उपेंद्र ने हरियाणा से रजिस्टर्ड कॉमर्शियल डटसन गो कार ओला से किराये पर ली थी। यह कार दो-तीन साल पुरानी बताई जा रही थी। उपेंद्र का कहना है कि उन्होंने अपने छोटे भाई के लिए यह कार किराये पर ली थी, ताकि वह इसे चलाकर अपना रोजगार शुरू कर सके। यही कार उनके परिवार के तीन सदस्यों को लील गई। दरअसल, कार-24 में नौकरी करने वाले उपेंद्र का परिवार कार में कभी-कभी ही बैठा था। उन्हें कार के दरवाजे और खिड़कियां खोलने की आदत भी नहीं थी। रंजना और उनकी दो बेटियों की मौत के पीछे भी यही वजह मानी जा रही है।
उपेंद्र जानकार थे, इसलिए कार में आग को भांपकर वह खुद तो एक बेटी के साथ बाहर निकल गए, लेकिन जब पत्नी को गेट या खिड़की खोलने का इशारा करने लगे तो वह समझ नहीं पाईं। उपेंद्र ने बताया कि शुक्रवार को वह कार लेकर घर आए थे। काम शुरू करने से पहले उन्होंने परिवार के कहने पर कालकाजी मंदिर जाने की योजना बनाई। उनका अवकाश सोमवार को होता है, लेकिन उन्होंने इसके लिए रविवार को अवकाश ले लिया।
कालकाजी मंदिर में दर्शन के बाद आश्रम होते हुए शकरपुर चुंगी तक पहुंच गए, लेकिन इसके बाद रंजना ने अक्षरधाम मंदिर चलने की बात कही तो उपेंद्र ने कार मोड़ ली। फ्लाईओवर पर हादसा हो गया। दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग के निदेशक जिले सिंह लाकड़ा ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि कार के बारे में जागरूकता होती तो यह परिवार बच सकता था। जिस तरह उपेंद्र एक बच्ची को लेकर कार से निकले, रंजना भी दोनों बच्चियों को लेकर बाहर निकल सकती थीं। अग्निशमन यंत्र भी हादसे के प्रभाव को कम कर सकता था।