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नाबालिग से दुष्कर्म में आसाराम को मिली उम्रकैद, जानिये- दिल्ली में क्यों दर्ज हुई थी पहली FIR

दिल्ली में पहले प्रावधान था कि पीड़ित बच्ची, किशोरी व महिला से जहां वारदात हुई है, मुकदमा उसी इलाके के संबंधित थाने में दर्ज होता था।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 26 Apr 2018 07:45 AM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 12:07 PM (IST)
नाबालिग से दुष्कर्म में आसाराम को मिली उम्रकैद, जानिये- दिल्ली में क्यों दर्ज हुई थी पहली FIR
नाबालिग से दुष्कर्म में आसाराम को मिली उम्रकैद, जानिये- दिल्ली में क्यों दर्ज हुई थी पहली FIR

नई दिल्ली (राकेश कुमार सिंह)। अपने आश्रम की नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के अपराध में स्वयंभू बाबा आसाराम उर्फ आसूमल को स्थानीय विशेष अदालत ने बुधवार को ताउम्र कैद की सजा सुनाई। उस पर तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जज मधुसूदन शर्मा ने सजा सुनाते हुए कहा कि अपराध घिनौना है और उसे मौत तक जेल में रहना होगा। सजा आइपीसी तथा किशोर न्याय कानून के तहत सुनाई गई है।

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मामले में लिप्त आसाराम के दो सहयोगियों, छात्रावास की वॉर्डन शिल्पी और गुरुकुल के संचालक शरद को भी 20-20 साल कैद की सजा सुनाई गई है। जबकि दो अन्य सहयोगी सेवादार शिवा तथा रसोइया प्रकाश द्विवेदी को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है।

यहां पर बता दें कि आसाराम व उसके तीन शिष्यों के खिलाफ पहली बार 20 अगस्त 2013 को दिल्ली में जीरो एफआइआर दर्ज हुई थी। पीड़िता (तब 17 वर्ष की थी) के पिता की शिकायत पर मध्य जिले के कमला मार्केट थाने में दुष्कर्म समेत सात धाराओं में जीरो एफआइआर दर्ज की गई थी।

काफी कोशिश के बाद भी जोधपुर में मुकदमा दर्ज नहीं हो पाया था। इसके बाद दिल्ली के कमला मार्केट थाने में एफआइआर दर्ज कराई, क्योंकि उन दिनों उस थानाक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रामलीला मैदान में आसाराम का तीन दिवसीय समागम चल रहा था।

दिल्ली में पहले प्रावधान था कि पीड़ित बच्ची, किशोरी व महिला से जहां वारदात हुई है, मुकदमा उसी इलाके के संबंधित थाने में दर्ज होता था। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म (16 दिसंबर 2012) की घटना के बाद केंद्र के निर्देश पर नियमों में बदलाव किया गया और किसी भी थाने में शिकायत मिलते ही तुरंत एफआइआर दर्ज करनी होती है।

घटनास्थल किसी अन्य थाने या दूसरे राज्य का होता है तो पुलिस अधिकारी पीड़िता संग जीरो एफआइआर की प्रति वहां जाकर सौंप देते हैं। इसलिए आसाराम व उसके तीन शिष्यों पर तुरंत एफआइआर दर्ज कर ली गई थी।

राजस्थान, जोधपुर के पाल गांव स्थित गुरुकुल में 12वीं में पढ़ने वाली पीड़ित छात्रा के बयान पर दुष्कर्म, शारीरिक छेड़छाड़, जान से मारने की धमकी, अश्लील इशारे, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट व पॉक्सो आदि धाराओं में जीरो एफआइआर दर्ज की गई थी।

अगले दिन 21 अगस्त 2013 को छात्रा का तीस हजारी कोर्ट में बयान दर्ज कराया गया। इसके बाद पुलिस अधिकारी जोधपुर वेस्ट के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर व आइपीएस अधिकारी अजय पाल लांबा से मिले, फिर एफआइआर की कॉपी सुरसागर थाना पुलिस को सौंपी गई।


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