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पब्लिसिटी के लिए किया था जेएनयू छात्र उमर खालिद पर जानलेवा हमला

आरोपियों ने दावा किया कि उन्होंने उमर खालिद पर फायरिंग नहीं की थी। केवल उसे धक्का दिया था और पिस्टल तानी थी।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 01:46 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 02:12 PM (IST)
पब्लिसिटी के लिए किया था जेएनयू छात्र उमर खालिद पर जानलेवा हमला
पब्लिसिटी के लिए किया था जेएनयू छात्र उमर खालिद पर जानलेवा हमला

नई दिल्ली (जेएनएन)। स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के बाहर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र नेता उमर खालिद पर किया गया जानलेवा हमला महज एक पब्लिसिटी स्टंट था। हमलावरों का इरादा उमर खालिद की हत्या करना या उसे नुकसान पहुंचाना नहीं था। यही वजह है कि हमलावरों ने उमर खालिद पर गोली भी नहीं चलाई थी। गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ है।

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ये खुलासा उमर खालिद पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में किया है। आरोपियों की पहचान गांव मांडौठी, झज्जर (हरियाणा) निवासी नवीन दलाल और जींद शाहपुर निवासी दरवेश के रूप में हुई है। दिल्ली पुलिस ने दोनों को सोमवार तड़के हरियाणा के हिसार में फतेहाबाद से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने दोनों आरोपियों को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया। मंगलवार को कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दो दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर दे दिया है। रिमांड के दौरान पुलिस आरोपियों से पूरी साजिश के बारे में पूछताछ करेगी। साथ ही उनसे ये भी पता करने का प्रयास करेगी कि साजिश में और कितने लोग शामिल हैं।

गोरक्षक हैं दोनों हमलावर
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों ने दावा किया कि वह गोरक्षक हैं। उनका मकसद घटना वाले दिन 13 अगस्त को कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित ‘खौफ से आजादी’ कार्यक्रम को बाधित कर गोरक्षा की तरफ सरकार और लोगों का ध्यान आकर्षित करना था। मालूम हो कि इस कार्यक्रम में जाने-माने अधिवक्त प्रशांत भूषण व राज्यसभा सदस्य मनोज झा सहित कई बड़े वक्ताओं और धार्मिक या उन्मादी हिंसा का शिकार हुए लोगों का परिवार शामिल हुआ था।

पहले से उमर पर हमले की योजना नहीं थी
पूछताछ में नवीन दलाल ने बताया कि उस दिन वह कांस्टीट्यूशन क्लब के बाहर कार्यक्रम को बाधित करने पहुंचा था। वहां उसे क्लब के बाहर उमर खालिद चाय की दुकान पर खड़ा दिख गया। उसने बिना किसी योजना के उमर पर हमला कर दिया। आरोपियों ने दावा किया कि उन्होंने उमर खालिद पर फायरिंग नहीं की थी। केवल उसे धक्का दिया था और पिस्टल तानी थी।

फेसबुक पर आरोपियों ने कबूला था जुर्म
खालिद पर हमले के बाद दोनों आरोपियों ने 15 अगस्त को सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड किया था। वीडियो में दोनों ने खालिद पर हमला करने की जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने फेसबुक वीडियो में इस हमले को देश के नागरिकों के लिए स्वतंत्रता दिवस का तोहफा बताया था। इसके बाद दोनों आरोपियों ने दावा किया था कि वह खुद 17 अगस्त को आत्मसमर्पण कर देंगे। हालांकि दोनों ने आत्मसमर्पण नहीं किया था। इसके बाद पुलिस ने फेसबुक वीडियो के जरिए इनकी तलाश शुरू कर दी थी। पुलिस अब वीडियो की प्रमाणिकता जांच रही है। साथ ही आईपी एड्रेस से ये भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि वीडियो कहां से अपलोड किया गया था।

खालिद के खिलाफ देशद्रोह मामले की भी जांच कर रही है यही पुलिस टीम
खालिद के हमलावर को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की उसी टीम ने गिरफ्तार किया है, जो खालिद समेत दो अन्य जेएनयू छात्रों के खिलाफ देशद्रोह के मामले की जांच कर रही है। दिल्ली पुलिस के अनुसार उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम में उमर खालिद भी शामिल हो रहा है।

फायरिंग के नहीं मिले सबुत
जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों का दावा है कि उन्हें अब तक घटनास्थल पर फायरिंग होने का कोई सबुत नहीं मिला है। उन्हें मौके से ही पिस्टल बरामद हो गई थी। पुलिस के अनुसार शुरूआती फोरेंसिक जांच में पता चला है कि जिस वक्त उमर खालिद पर पिस्तौल तानी गई वह जाम हो चुकी थी। लिहाजा पुलिस अब ये भी जांच कर रही है कि घटना स्थल पर फायरिंग हुई थी या नहीं। पुलिस के अनुसार मौके से भी उन्हें कारतूस का कोई खाली खोखा नहीं मिला है।

2014 में भी किया था बवाल
पुलिस के अनुसार नवीन दलाल 2014 में अपने कुछ साथियों के साथ जबरन भाजपा मुख्यालय में घुस गया था और मांग करने लगा था कि गो हत्या रोकी जाए। उसके खिलाफ कई धाराओं में संसद मार्ग थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।

कौन है उमर खालिद
दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र उमर खालिद का नाम 9 फरवरी 2009 को परिसर में कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाने के मामले में चर्चा में आया था। इस मामले में तत्कालीन जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद समेत कुल 13 छात्रों को आरोपी बनाया गया था।

जेएनयू की उच्चस्तरीय जांच समिति ने अफजल गुरु की फांसी के विरोध में 9 फरवरी 2016 को परिसर में आयोजित कार्यक्रम में कथित तौर पर देशविरोधी नारेबाजी करने के मामले में तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद को निष्कासित कर सभी आरोपियों पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। हालांकि मामले में एक माह पहले हाई कोर्ट ने दोनों को राहत प्रदान करते हुए इनके निष्कासन और जुर्माने पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने जेएनयू को आदेश दिया है कि कोई भी कार्रवाई करने से पहले दोनों छात्रों का भी बात सुनी जाए। एक तरफा कार्रवाई न हो।


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