17 लोगों की मौत का कोई जिम्मेदार नहीं?, अब तक सिर्फ दो लोग गिरफ्तार
वर्ष 2006 में केंद्र सरकार द्वारा अवैध निर्माण के संरक्षण का बिल आने के बाद यह इलाका वार्ल्ड सिटी में आ गया, जिसकी वजह से अब इस पर कार्रवाई नहीं हो सकती है।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली के करोलबाग स्थित होटल अर्पित पैैलेस अग्निकांड में 17 लोगों की मौत हो गई, लेकिन इसका कोई जिम्मेदार नहीं। जी हां, घटना के बाद हर विभाग खुद को बेदाग बताने और दूसरे को जिम्मेदार ठहराने में लगा है। बावजूद इसके कि इसमें अधिकतर विभागों की लापरवाही सामने आई है। यह अलग बात है कि इस मामले में बुधवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
बता दें अग्निशमन विभाग होटल के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करता है। आबकारी विभाग बार के लिए लाइसेंस देता है। होटल को हेल्थ लाइसेंस निगम से जारी होता है। इनमें से हर कोई खुद को पाक-साफ बता रहा है।
होटल को एनओसी जारी करने वाले अग्निशमन विभाग का कहना है कि आग लगने का कारण अवैध रूप से छत पर किया गया फाइबर का निर्माण हो सकता है। वहीं निगम का कहना है कि उन्होंने अग्निशमन विभाग के एनओसी के आधार पर हेल्थ लाइसेंस जारी किया था, इसलिए प्राथमिक तौर पर उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है।
वर्ष 2006 में केंद्र सरकार द्वारा अवैध निर्माण के संरक्षण का बिल आने के बाद यह इलाका वार्ल्ड सिटी में आ गया, जिसकी वजह से अब इस पर कार्रवाई नहीं हो सकती है।
ज्यादातर होटलों की छतों पर है अवैध निर्माण चल रहे हैं रेस्टोरेंट
करोल बाग के होटलों की छत पर आसानी से अवैध निर्माण देखा जा सकता है। इन छतों पर लोह की ग्रिल के माध्यम से फायबर सीट को लगाया गया है। इसके नीचे खुले आम रेस्टोरेंट चल रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर यह अवैध निर्माण किसी शह पर हो रहे थे। जबकि हाल ही में मॉनिटरिंग कमेटी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में सी¨लग की कार्रवाई अवैध निर्माण को लेकर की थी। तो जब निगम ने इन होटलों पर कार्रवाई क्यों नहीं की। इसके लिए अगर सीधे तौर पर नगर निगम को जिम्मेदार माना जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि अवैध निर्माण पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी सीधे तौर पर नगर निगम की ही है।
आप नेता का आरोप
अवैध निर्माण के बावजूद कार्रवाई नहीं उत्तरी दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद विकास गोयल ने निगम पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गोयल का कहना है कि इस होटल को अवैध निर्माण के रूप में पांच बार चिन्हित किया गया था, लेकिन निगम अधिकारियों की मिलीभगत के चलते एक बार भी कार्रवाई नहीं हुई। गोयल के अनुसार, 14 जून 1993 से 14 जनवरी 1994 तक ही पांच बार यह अवैध निर्माण में चिन्हित किया गया था। वहीं, निगम का कहना है कि चिन्हित तो किया गया था लेकिन कार्रवाई हुई या नहीं, इसका पता लगाया जा रहा है। 2006 में केंद्र सरकार द्वारा अवैध निर्माण के संरक्षण का बिल लाने के बाद यह इलाका वॉल सिटी में आ गया। इस वजह से अब इस पर कार्रवाई नहीं हो सकती है।