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नामी क्लब में एंट्री को लेकर बवाल, कोर्ट के ऑर्डर पर FIR

दिल्ली के पॉश क्लब में एंट्री पाने के लिए (जिसमें सिर्फ मेंबर्स को एंट्री दी जाती थी) फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट व एंट्री आइडी के इस्तेमाल को लेकर कोर्ट ऑर्डर पर FIR हुई।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 01:04 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 11:29 PM (IST)
नामी क्लब में एंट्री को लेकर बवाल, कोर्ट के ऑर्डर पर FIR
नामी क्लब में एंट्री को लेकर बवाल, कोर्ट के ऑर्डर पर FIR

नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली की सेशन कोर्ट ने जालसाजी व फर्जी तरीके से दूसरे व्यक्ति की पहचान का इस्तेमाल करने के मामले में फआइआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं। यह मामला 72 वर्षीय डॉ. हरीश भल्ला और उनकी दिवंगत पत्नी से जुड़ा हुआ है और पूरा मामला वर्ष 2015 का है। नामी डॉक्टर पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली के एक पॉश क्लब में एंट्री पाने के लिए (जिसमें सिर्फ मेंबर्स को एंट्री दी जाती थी) फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट और एंट्री आइडी का इस्तेमाल किया था।

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आरोपित पर यह भी आरोप है कि उन्होंने डॉ. भल्ला की दिवंगत पत्नी का आईकार्ड चुरा लिया और उस पर फर्जी तरीके से अपनी फोटो लगा ली। यही नहीं, आरोपित ने क्लब में एंट्री के लिए मृतक महिला का ‘फिट फॉर मेंबरशिप’ का सर्टिफिकेट भी दिया। इस मामले में जालसाजी समेत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।

 इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट ने लोअर कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए एफआइआर के आदेश को चुनौती देने वाली आरोपित की याचिका को खारिज कर दिया है। दरअसल, साकेत कोर्ट ने डॉ. भल्ला की याचिका को स्वीकार करते हुए पुलिस को आरोपित डॉक्टर के खिलाफ एफआइआर के निर्देश दिए थे। इस आदेश को आरोपित द्वारा सेशन कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका को खारिज करते हुए सेशन कोर्ट ने पुलिस को आरोपित के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

इस बारे में दैनिक जागरण ने आरोपित से बात की। उन्‍होंने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि शिकायत पर 3 साल में कोई एफआईआर नहीं हुई। पुलिस ने कार्रवाई के लिए 3 साल तक रिकॉर्ड बनाया। उसके बाद सभी चार ने निष्कर्ष निकाला है कि शिकायतकर्ता केवल इंडिया हैबिटेट सेंटर में लाभार्थी था और उसने खुद के लिए जिम का भुगतान किया था। उसने कार्ड दिखाने के लिए मृत पत्नी का कार्ड को रखा। वह प्रतिष्ठित क्लब में आश्रित सदस्य था। उन्होंने अपनी पत्नी को मृत्यु होने के बाद भी 3 साल तक क्लब में जीवित रखा और आज तक भी उनकी मृत्यु की घोषणा नहीं की। अदालत के निर्देश पर आज एफआईआर दर्ज की गई। आरोपित एक गैर-नामित व्यक्ति है क्योंकि ऐसा लगता है कि शिकायत के अनुसार 3 साल की जांच के अनुसार आरोपी है।

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