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विवादों में फ‍िल्‍म 'न्यूटन', CRPF की छवि को धूमिल करने का आरोप

बता दें कि भारत की ओर से ऑस्कर के लिए इस फिल्म को नामित किया गया था।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 09 Feb 2018 10:11 AM (IST)Updated: Fri, 16 Feb 2018 09:49 AM (IST)
विवादों में फ‍िल्‍म 'न्यूटन', CRPF की छवि को धूमिल करने का आरोप
विवादों में फ‍िल्‍म 'न्यूटन', CRPF की छवि को धूमिल करने का आरोप

नई दिल्ली (जेएनएन)। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता राजकुमार राव के दमदार अभि‍नय से सजी फिल्म 'न्यूटन' फिर विवादों में है। दरअसल, अर्द्ध सैनिक बल सीआरपीएफ के सब इंस्पेक्टर नमाल सान्याल ने फिल्म न्यूटन में सीआरपीएफ की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए कड़कड़डूमा अदालत में आपराधिक मानहानि का केस दायर किया है। अदालत ने अर्जी स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए एक मार्च की तारीख तय की है।

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नमाल सान्याल ने कहा कि देश की रक्षा और अमन-शांति के प्रयास के बीच कई जवान शहीद हो जाते है। जम्मू कश्मीर हो या फिर नक्सल प्रभावित राज्य, अमन और शांति कायम करने के लिए जवान खून पसीना एक कर देते हैं। बिहार, झारखंड, छलाीसगढ़, जम्मू कश्मीर सहित अन्य राज्यो में पहले मतदान निष्पक्ष और शांतिपूर्ण नही होते थे।

अब यहां के मतदाता बेखौफ होकर मतदान के लिए घरो से निकलते है। यह जवानो की बदौलत की मुमकिन हो सका है, लेकिन फिल्म में अर्धसैनिक बल की छवि को दूसरे तरीके से पेश किया गया है। इससे अर्द्ध सैनिक बलों के जवानो में काफी गुस्सा है। बता दें कि भारत की ओर से ऑस्कर के लिए इस फिल्म को नामित किया गया था।

ऑस्कर तक गई थी 'न्यूटन' फिल्म

बॉलीवुड एक्टर राजकुमार अभिनीत 'न्‍यूटन' फिल्म को भारत की तरफ से विदेशी भाषा में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के ऑस्‍कर सम्मान के लिए आधिकारिक एंट्री मिली थी। हालांकि ये फिल्म अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ 9 फिल्मों में जगह बनाने में नाकाम रही और पुरस्कार की दौड़ से बाहर हो गई। यह फिल्‍म नक्‍सल प्रभावित इलाके में सालों बाद इलेक्‍शन कराने जैसे विषय पर बनाई गई फिल्‍म है। इस फिल्‍म में राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, अंजली पाटिल जैसे कलाकार हैं।

दरअसल, न्यूटन कुमार जो कि दलित समुदाय से है और नया भर्ती हुआ सरकारी क्लर्क है, उसे चुनावी ड्यूटी पर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जंगली इलाके में भेजा गया है। सुरक्षा बलों की उदासीनता और नक्सली छापामारों के हमले के संभावित खतरों के बीच तमाम विपरीत परिस्थितियों में वो अपनी ओर से निष्पक्ष मतदान करवाने की कोशिश करता है। लेकिन बावजूद इसके जब मतदाता मतदान के लिए नही आते तो उसे ये देखकर घोर निराशा होती है। बाद में जब एक विदेशी संवाददाता उस मतदान केंद्र पर पहुंचता है तो सुरक्षाकर्मी गांव वालों को मतदान करने के लिए जबर्दस्ती वहां लाने कोशिश करते हैं।

न्यूटन को जल्दी इस बात का एहसास हो जाता है कि गांव वालों को मतदान की अहमियत के बारे में कुछ पता ही नहीं है। वो गांव वालों को मतदान के महत्व के बारे में समझाने की कोशिश करता है लेकिन सुरक्षा अधिकारी उसे बगल में धक्का देकर गांव वालों को समझाता है कि वोटिंग मशीन एक खिलौना है।

ये देखकर विदेशी पत्रकार को भारत के लोकतंत्र के बारे में एक मजेदार खबर मिल जाती है। न्यूटन कुमार वोटिंग पूरी होने तक अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रहने की कोशिश करता है लेकिन इसी दौरान नक्सली हमले के बीच उसे अपनी जान बचाने के लिए भागने पर मजबूर होना पड़ता है। तभी उसे पता चलता है कि ये हमला भी पुलिस द्वारा ही सुनियोजित किया गया था।


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