यूपी गेट पर कृषि कानून के विरोध में धरना देकर बैठे किसान प्रदूषण को भी कर रहे बुरी तरह से प्रभावित, जानें कैसे
यूपी गेट पर चल रहे कृषि कानून विरोधी धरना स्थल पर हर दिन करीब 55 हजार रुपये का डीजल जनरेटरों में फुंक रहा है। उनसे निकलने वाला काले धुएं और तेज आवाज से वायु और ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। इससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। लोग काफी परेशान हैं।
साहिबाबाद [अवनीश मिश्र]। यूपी गेट पर चल रहे कृषि कानून विरोधी धरना स्थल पर हर दिन करीब 55 हजार रुपये का डीजल जनरेटरों में फुंक रहा है। उनसे निकलने वाला काले धुएं और तेज आवाज से वायु और ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। इससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। लोग भी काफी परेशान हैं।
तीन कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर 28 नवंबर से धरना-प्रदर्शन चल रहा है। यहां पर लाइट, पंखे, कूलर चलाए जा रहे हैं। उनमें बिजली आपूर्ति के लिए 14 जनरेटर चलाए जा रहे हैं। औसतन एक जनरेटर में एक घंटे में दो लीटर डीजल जलता है। एक जनरेटर से एक दिन में 48 लीटर डीजल फुंक जाता है। इसी प्रकार 14 जनरेटर में 672 लीटर डीजल प्रतिदिन फुंक जाता है।
शनिवार को गाजियाबाद में एक लीटर डीजल की कीमत 81.19 रुपये रही। इस हिसाब से देखा जाए, तो यहां हर दिन करीब 55 हजार रुपये का डीजल जलकर बर्बाद हो रहा है। शनिवार को यूपी गेट के धरने का 119वां दिन है। इसके आधार पर अब तक करीब 80 हजार लीटर डीजल यहां फुंक चुका है। उसकी कीमत करीब 65 लाख रुपये है।
धुआं व शोर से परेशानी
धरना स्थल के आसपास खोड़ा, वैशाली, कौशांबी और दिल्ली का गाजीपुर क्षेत्र बसा है। खोड़ा-पुश्ता रोड से होकर हजारों वाहन चालक गुजरते हैं। धरना स्थल पर 24 घंटे जनरेटर चलते हैं, तो उनमें से काला जहरीला धुआं निकलता है। उस धुएं की वजह से वायु प्रदूषित होती है।
तेज आवाज में चलने वाले जनरेटरों से शोर होता है। गाजियाबाद वैसे ही प्रदूषित शहरों में बना रहता है। इसकी वजह से समस्या और बढ़ गई है। स्थानीय निवासियों और वाहन चालकों को इससे दिक्कत हो रही है।