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मोटरसाइकिल रैली में शामिल आंदोलनकारियों ने किया हुड़दंग, पंजाब और हरियाणा के किसानों की संख्या हो रही कम, कुछ ने तंबू भी समेटे

तीनों कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर 28 नवंबर से चल रहा धरना जारी है। सोमवार की रात करीब आठ बजे यहां बुलंदशहर से किसानों की मोटरसाइकिल रैली पहुंची। इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग नौ पर जाम की स्थिति रही।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 03:25 PM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 03:25 PM (IST)
मोटरसाइकिल रैली में शामिल आंदोलनकारियों ने किया हुड़दंग, पंजाब और हरियाणा के किसानों की संख्या हो रही कम, कुछ ने तंबू भी समेटे
किसानों का प्रदर्शन जारी है, अब आंदोलन स्थल पर कुछ गांवों के ही तंबू रह गए हैं।

दिल्ली/हरियाणा/गाजियाबाद। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन जारी है। किसान नेता अपने इन आंदोलन स्थलों पर किसानों की संख्या को बनाए रखने के लिए समय-समय पर कोई न कोई आवाहन करते रहते हैं। किसानों को तमाम माध्यमों से आंदोलन स्थलों पर बुलाया जाता है जिससे केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके। समय-समय पर किसानों को आंदोलित करने के लिए दिल्ली चलो, संसद चलो, किसान पार्लियामेंट जैसी चीजों का आयोजन किया जाता रहता है।

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तीनों कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर 28 नवंबर से चल रहा धरना जारी है। सोमवार की रात करीब आठ बजे यहां बुलंदशहर से किसानों की मोटरसाइकिल रैली पहुंची। इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग नौ पर जाम की स्थिति रही। बताया जा रहा है कि मोटरसाइकिल रैली में शामिल किसानों ने जमकर हुड़दंग किया। मोटरसाइकिल रैली राष्ट्रीय राजमार्ग- नौ होकर यूपी गेट पहुंची। इसमें करीब दो सौ मोटरसाइकिल, 25 ट्रैक्टर व चार जीप शामिल थीं। इन वाहनों पर सवार प्रदर्शनकारी रास्ते में हुड़दंग करते रहे। इससे सड़क पर चलने वाले राहगीरों को काफी दिक्कत हुई। हादसा होने की संभावना बनी। जगह-जगह जाम की स्थिति बनी। यातायात निरीक्षक बीपी गुप्ता ने बताया कि एनएच-नौ होकर रैली यहां पहुंची है। जगह-जगह यातायात पुलिस तैनात थी। मगर वाहन चालक फंसते रहे। नार्मल तरह से ट्रैफिक का संचालन नहीं हो सका, जब मोटर साइकिल रैली धरना स्थल पर पहुंच गई उसके बाद यातायात सामान्य हो पाया।

उधर बहादुरगढ़ (झज्जर) से जागरण संवाददाता से मिली जानकारी के अनुसार चल रहे आंदोलन में पंजाब ही नहीं, हरियाणा के किसानों की संख्या भी कम हो गई है। पंजाब के किसान तो रोज आते-जाते रहते हैं, लेकिन हरियाणा के किसानों की संख्या अब बहुत ही कम रह गई है। आंदोलन स्थल पर कुछ गांवों के ही तंबू रह गए हैं। ट्रैक्टर-ट्रालियों से हरियाणा के किसानों का रोज होने वाला आवागमन भी कम हो गया है। अब सिर्फ रविवार को ही कुछ गांवों के चार-पांच किसान ही आंदोलन में भाग लेने आते हैं। एक समय वह भी था जब आंदोलन शुरू हुआ तो हरियाणा के विभिन्न गांवों से सैकड़ों-हजारों की संख्या में किसान यहां आते थे। महिलाओं की संख्या भी काफी अधिक रहती थी। कई गांवों में तो पांच-छह ट्रैक्टर-ट्रालियों में तो दूर के गांवों से जीप, कार व बसों से किसान यहां पहुंचकर आंदोलन को समर्थन देते थे।

लेकिन, 26 जनवरी के बाद से ही हरियाणा के किसानों की भागीदारी कम होने लगी। अब तो हालात ऐसे हैं कि हरियाणा के कुछ गांवों को छोड़कर अन्य गांवों के प्रतिनिधि अपने तंबू भी यहां से समेट चुके हैं। पंजाब के किसान नेता हरियाणा के किसान नेताओं पर भागीदारी बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। भाकियू घासीराम नैन के अध्यक्ष जोगेंद्र नैन को निलंबित भी इसलिए किया गया है कि आंदोलन में उनकी ओर से भागीदारी नहीं बढ़ाई जा रही थी। हालांकि, वह इसे गलत करार दे रहे हैं। उधर, हरियाणा में खापों ने भी आंदोलन को खूब समर्थन दिया था, लेकिन अब यहां पर खापें भी कम ही दिखाई दे रही हैं। कुछ खापों के ही तंबू बचे हैं और उनके प्रतिनिधि यहां काफी कम संख्या में रह रहे हैं। खाप प्रतिनिधियों का आवागमन भी काफी कम हो गया है।

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