Move to Jagran APP

Tikri Border Kisan Protest: किसानों के मंच से हुई उपद्रव की अलोचना, दो धड़ों में बंटे किसान

Tikri Border Kisan Protest टीकरी बॉर्डर के मुख्य मंच से ज्यादातर वक्ताओं ने लाल किले में हुई घटना की आलोचना में कहा कि जिन्होंने हुड़दंग किया उन पर FIR हो। इसके अलावा वक्ता जोर देते हुए बार-बार कह रहे थे कि जिन लोगों ने हुड़दंग किया वो किसान नहीं थे।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 11:13 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 11:13 AM (IST)
Tikri Border Kisan Protest: किसानों के मंच से हुई उपद्रव की अलोचना, दो धड़ों में बंटे किसान
पुलिस की तरफ से तय किए गए मार्ग पर ही रैली निकाली।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के नाम पर हुए उपद्रव की वजह से टीकरी बार्डर पर जमे किसान बैकफुट पर नजर आए। बुधवार को टीकरी बार्डर के मुख्य मंच से ज्यादातर वक्ताओं ने लाल किले में हुई घटना की आलोचना करते हुए कहा कि जिन्होंने हुड़दंग किया, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए। इसके अलावा वक्ता जोर देते हुए बार-बार कह रहे थे कि, जिन लोगों ने हुड़दंग किया वो किसान नहीं थे। वहीं, मंच पर बैठे नेताओं से इतर दिल्ली के विभिन्न भागों में मचे हुड़दंग के मामले पर टीकरी बॉर्डर पर जमे किसान दो हिस्सों में बंटे हैं। एक तरफ वे किसान हैं, जो हुड़दंग को लेकर चुप हैं और एक तरह से खामोशी से हुड़दंगियों के पक्ष में हैं।

loksabha election banner

वहीं, दूसरी ओर वे किसान हैं, जो उपद्रव का विरोध करते हुए कह रहे हैं कि जिन्होंने हिंसा की है, उनकी पहचान होनी चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए। वहीं, टीकरी के ज्यादातर किसानों का दावा है कि उन्होंने पुलिस की तरफ से तय किए गए मार्ग पर ही रैली निकाली। हालांकि, यह पूछने पर कि तब नांगलोई में जो बवाल हुआ, वह किसाने किया, तो वे चुप हो जाते हैं। हालांकि, कुछ किसान दबी जुबान में यह कहते हैं कि हमारे नेता ही हमें बदनाम करने पर अमादा हैं। उनमें अपनी ही बात पर टिके रहने का माद्दा नहीं है। वे कभी कुछ, तो कभी कुछ कहते हैं।

किसान एक हैं तो नेतृत्व में दरारें क्यों हैं

बुधवार को मंच से बोलने वाले सभी वक्ता किसानों से एकता बनाए रखने की अपील कर रहे थे। मंच से बोल रहे वक्ता सामने बैठे किसानों को बता रहे थे कि विरोधी फूट डाल रहे हैं। इस पर एक किसान ने कहा कि किसान तो एकजुट हैं, लेकिन नेताओं में जो एकजुटता होनी चाहिए, वह नहीं है।

टूट रहा सब्र

टीकरी बॉर्डर पर कई किसान ऐसे हैं, जो अब गांव लौटना चाहते हैं। इनकी सबसे पहली नाराजगी उन नेताओं से हैं, जिनके कारण सरकार से होनी वाली वार्ता हर निश्चित निर्णय तक पहुंचने से पहले ही टूट जाती है। ऐसे किसानों का कहना है कि जब निर्णय सरकार के हाथ में है तो फिर हम उनसे ही बातचीत नहीं करके आखिर क्या साबित करना चाहते हैं। हम यहां अपनी बात मनवाने आए हैं, लेकिन बातचीत से ही इन्कार कर देते हैं। यह कैसा निर्णय है।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.