Kamla Bhasin Passes Away: नारीवादी लेखिका कमला भसीन ने कहा दुनिया को अलविदा
अकसर टेलीविजन चैनलों पर अपनी बात मुखर ढंग से कहने वालीं कमला भसीन उम्र के आखिर दौर में भी बेहद सक्रिय थीं। सामाजिक सगंठनों का कहना है कि कमला भसीन के जाने से महिलावादी आंदोलन सहित सभी जन आंदोलनों की अपूरणीय क्षति हुई है।
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। दबी कुचली महिलाओं के लिए धरातल पर काम करने वालीं और नारीवादी लेखिका कमला भसीन ने दुनिया को अलविदा कह दिया। मिली जानकारी के मुताबिक, लेखिका कमला भसीन ने शनिवार सुबह अंतिम सांस ली। उनके निधन महिलावादी लेखक, संगठन और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक की लहर है। अकसर टेलीविजन चैनलों पर अपनी बात मुखर ढंग से कहने वालीं कमला भसीन उम्र के आखिर दौर में भी बेहद सक्रिय थीं। सामाजिक सगंठनों का कहना है कि कमला भसीन के जाने से महिलावादी आंदोलन सहित सभी जन आंदोलनों की अपूरणीय क्षति हुई है।
मशहूर महिलावादी लेखिका कमला भसीन लगातार महिला अधिकार आंदोलन को लेकर सक्रिय रहीं। वह लगातार अपने लेखों और वक्तव्यों के जरिये महिलाओं को उत्साह बढ़ाती रहीं।
नामी सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने ट्विटर किया है- 'कमला भसीन, हमारी प्रिय मित्र, का आज 25 सितंबर को लगभग 3 बजे निधन हो गया। यह भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में महिला आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है। विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने जीवन का जश्न मनाया। कमला आप हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी। सिस्टरहुड में, जो गहरे दुख में है।'
बालीवुड के नामी अदाकारा शबाना आजमी ने भी कमला भसीन के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट किया है- तेजतर्रार कमला भसीन ने अपनी आखिरी लड़ाई, गायन और जीवन को अच्छी तरह से जीने का जश्न मनाया है। उनकी कमी हमेशा खलेगी। उनकी साहसी मौजूदगी हंसी और गीत, उनकी अद्भुत ताकत उनकी विरासत है। हम सब इसे संजो कर रखेंगे जैसा हमने पहले अरुणा रॉय के लिए किया।'
यह भी जानें
- सामाजिक कार्यकर्ता के साथ कमला भसीन एक उम्दा लेखिका भी थीं।
- कमला भसीन ने जेंडर थ्योरी, फेमिनिज्म और पितृसत्ता को समझने पर कई किताबें लिखी हैं।
- कमला ने वर्ष 2002 में एक फेमिनिस्ट नेटवर्क ‘संगत’ की स्थापना की थी।