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ट्रक हादसे में दम तोड़ने वाले चार लोगों का हुआ नेत्रदान, GTB अस्पताल के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा

जीटीबी अस्पताल के प्रयासों से इन चारों के स्वजन नेत्रदान के लिए सहर्ष तैयार हो गए। इसके बाद इनका कार्निया निकालकर नेशनल आइ बैंक एम्स में भेज दिया गया है। जीटीबी अस्पताल के इतिहास में यह पहला दिन जब उसे एक दिन इन आठ सहित कुल 10 कार्निया मिले।

By Swadesh kumarEdited By: Prateek KumarPublished: Thu, 22 Sep 2022 10:16 PM (IST)Updated: Thu, 22 Sep 2022 10:16 PM (IST)
ट्रक हादसे में दम तोड़ने वाले चार लोगों का हुआ नेत्रदान, GTB अस्पताल के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा
जीटीबी अस्पताल की पहल पर चारों के स्वजन ने दी सहमति।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सीमापुरी इलाके में एक दिन पहले ट्रक की चपेट में आने से चार लोगों की मृत्यु हुई थी, लेकिन इनकी आंखों से दूसरे लोग इस दुनिया को देख सकेंगे। जीटीबी अस्पताल के प्रयासों से इन चारों के स्वजन नेत्रदान के लिए सहर्ष तैयार हो गए। इसके बाद इनका कार्निया निकालकर नेशनल आइ बैंक, एम्स में भेज दिया गया है। जीटीबी अस्पताल के इतिहास में यह पहला दिन जब उसे एक दिन इन आठ सहित कुल 10 कार्निया मिले। अस्पताल के निदेशक डा. सुभाष गिरि ने इसकी पुष्टि की है।

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नेत्रदान के लिए कर रहे जागरूक

जीटीबी अस्पताल में पिछले दिनों नेत्रदान पखवाड़ा मनाया गया था। इस कार्यक्रम के बाद अस्पताल की मोर्चरी में स्वयंसेवक तैनात किए गए थे जो मृतक के परिवार को नेत्रदान के लिए जागरूक करते हैं। मंगलवार सुबह इन चारों के शव अस्पताल में पहुंचे थे। यहां शवों को मोर्चरी में रखा गया था। डाक्टरों के मुताबिक मृत्यु के छह घंटे के भीतर नेत्रदान किया जा सकता है।

स्वजनों ने दी नेत्रदान की सहमति

मोर्चरी में कोल्ड स्टोरेज में रखे शव का नेत्रदान 24 घंटे में हो सकता है। इसे देखते हुए स्वयंसेवकों ने इन चारों के परिवारों से बातचीत की। उन्हें समझाया कि इनकी आंखें किसी दूसरे के जरिये दुनिया को देख सकती हैं। इसके बाद स्वजन तैयार हो गए। यहां इन चारों के अलावा एक अन्य शव भी था। उक्त मृतक के स्वजन भी नेत्रदान के लिए सहमति दे दी। इस तरह से बुधवार को अस्पताल में कुल दस कार्निया आ गए।

नेत्रदान से शरीर में नहीं आती है विकृत्ति

डा. सुभाष गिरि ने कहा कि कार्निया निकालने से मृतक के शरीर में कोई विकृत्ति नहीं आती है। नेत्रदान के लिए अधिक से अधिक लोगों को आगे आना चाहिए। जीटीबी अस्पताल में नेत्र बैंक शुरू पर अभी काम चल रहा है। इसलिए इन कार्निया को नेशनल आइ बैंक भेज दिया गया है। जरूरत पड़ने पर अस्पताल को वहां से कार्निया मिल जाएगा।


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