Survey : देश में हर 10वां स्कूली बच्चा नशे की लत का शिकार, एम्स के सर्वे में सामने आई बात
स्कूली बच्चे औसतन 13 साल की उम्र में नशा शुरू करते हैं। कई बच्चे परिवार के लोगों को देखकर व दोस्तों के कहने पर प्रयोग के तौर पर पहली बार नशा करते हैं लेकिन बाद में इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। बच्चों में नशे की लत बढ़ रही है। देश में करीब हर दसवां स्कूली बच्चा नशे की लत का शिकार है। एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के डाक्टरों द्वारा देश के 10 शहरों के स्कूली बच्चों पर किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। बच्चे परिवार के सदस्यों व दोस्तों को तंबाकू, अल्कोहल व नशीले पदार्थों का सेवन करते देख नशे के लिए प्रेरित होते हैं। एम्स के सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि पारिवारिक कलह भी बच्चों को नशे की तरफ धकेल रहा है। क्योंकि पारिवारिक कलह से बच्चे मानिसक रूप से परेशान होते हैं। इस वजह से कई बच्चे नशा करने लग जाते हैं।
इस सर्वे के लिए एम्स को केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रलय ने फंड दिया था। एम्स के डाक्टरों की ओर से कोरोना से पहले वर्ष 2019-20 में दस शहरों के आठवीं से 12वीं कक्षा के छह हजार स्कूली बच्चों पर यह सर्वे किया गया। इसमें श्रीनगर, चंडीगढ़, लखनऊ, रांची, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, इम्फाल, डिब्रूगढ़ व दिल्ली के निजी व सरकारी स्कूलों के बच्चे शामिल थे। इनमें 52 फीसद लड़के व 48 फीसद लड़कियां शामिल थीं।
दो फीसद बच्चे भांग व चरस का भी करते हैं नशा
एम्स के मनोचिकित्सा विभाग की प्रोफेसर डा. अंजू धवन ने कहा कि सर्वे में पाया गया कि 10.3 फीसद स्कूली बच्चे नशा करते हैं, जिसमें तंबाकू का सेवन करने वाले बच्चे भी शामिल हैं। 8.3 फीसद बच्चे नशे की दवाओं का सेवन करते पाए गए। हालांकि, सर्वे में 50 फीसद बच्चों ने कहा कि नशा करने पर वे इसकी जानकारी साझा नहीं करेंगे। इसलिए नशा करने वाले बच्चों की संख्या 10.3 फीसद से अधिक भी हो सकती है। सर्वे में पाया गया कि दो फीसद बच्चे भांग व चरस का नशा करते हैं। 0.6 फीसद बच्चे नशे के लिए बेहोशी की दवा व 2.5 फीसद बच्चे अन्य नशे की दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। 1.9 फीसद बच्चे सूंघने वाला पदार्थ इस्तेमाल करते हैं।
औसतन 13 साल की उम्र में नशा शुरू करते हैं बच्चे
स्कूली बच्चे औसतन 13 साल की उम्र में नशा शुरू करते हैं। कई बच्चे परिवार के लोगों को देखकर व दोस्तों के कहने पर प्रयोग के तौर पर पहली बार नशा करते हैं लेकिन बाद में वे इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है। इसके अलावा बच्चों में उग्रता बढ़ जाती है। इस वजह से माता-पिता व दोस्तों से उनका रिश्ता भी खराब हो जाता है। वे गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त होने लगते हैं। नशा करने वाले एक चौथाई बच्चों में मानसिक परेशानी देखी गई। पांच से दस फीसद बच्चे प्रतिदिन व दस से 20 फीसद बच्चे सप्ताह में एक बार नशा करते हैं।