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Rohini Court Firing:15 मेटल डिटेक्टर लगे होने के बाद भी हथियार लेकर कोर्ट में घुस गये बदमाश, सुरक्षाकर्मी सतर्क होते तो नहीं होती वारदात

बदमाशों की इस दुस्साहसिक वारदात ने न्यायालयों की सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। दिल्ली के किसी कोर्ट में इस तरह की हिंसा पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी अपराधी अदालतों में ऐसी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 02:01 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 02:01 PM (IST)
Rohini Court Firing:15 मेटल डिटेक्टर लगे होने के बाद भी हथियार लेकर कोर्ट में घुस गये बदमाश, सुरक्षाकर्मी सतर्क होते तो नहीं होती वारदात
कोर्ट में अपराधी हथियार लेकर कोर्ट परिसर में आसानी से घुस गए।

नई दिल्‍ली, [धनंजय मिश्र ]। रोहिणी कोर्ट में घटना के बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अगर पुलिस व सुरक्षाकर्मी पहले से सतर्क होते तो इतनी बड़ी वारदात नहीं होती। अपराधियों द्वारा की गई दुस्साहसिक वारदात ने न्यायालयों की सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। दिल्ली के किसी कोर्ट में इस तरह की हिंसा पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी अपराधी अदालतों में ऐसी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। कड़कड़डूमा कोर्ट, तीस हजारी कोर्ट और रोहिणी कोर्ट में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इन वारदातों के बावजूद अदालतों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है।

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यहां सात गेटों पर 15 मेटल डिटेक्टर लगे हैं, इसमें ज्यादातर खराब हैं। इसके चलते अपराधी हथियार लेकर कोर्ट परिसर में आसानी से घुस गए और बिना किसी रोकटोक के इस तरह कोर्ट रूम में पहुंच गए। शायद उन्हें पहले से अंदाजा हो कि उन्हें वहां कोई रोकने वाला या तलाशी लेने वाला नहीं है। ऐसा तब हुआ, जबकि रोहिणी कोर्ट में ही वर्ष 2017 में एक विचाराधीन कैदी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, लेकिन इस घटना से भी पुलिस ने कोई सबक नहीं लिया।

चार नंबर गेट से कोर्ट परिसर में घुसे थे हमलावर

पुलिस की अब तक की जांच में सामने आया है कि दोनों हमलावर चार नंबर गेट से कोर्ट परिसर में घुसे थे। इसी दौरान उनके साथ एक महिला वकील भी कोर्ट परिसर में घुसते हुए दिखाई दे रही हैं। पुलिस ने जांच के लिए सीसीटीवी फुटेज को कब्जे में ले लिया है।

दरअसल, इस गेट के एक हिस्से में एक छोटा गेट लगा है। जहां स्कैनर व मेटल डिटेक्टर दोनों लगे हैं। इस गेट से पैदल जाने वालों की जांच होती है। इसके मुख्य प्रवेश द्वार से वाहन से आने वाले वकील व कोर्ट के कर्मचारी प्रवेश करते हैं, लेकिन ऐसे वाहन में सवार लोगों की स्कैनर से जांच नहीं होती है। कई बार लोग पैदल भी मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश कर जाते हैं। जांच में यह सामने आया है कि दोनों हमलावर मुख्य द्वार से ही अंदर घुसे थे।

ऐसे में दोनों स्कैनर की जद में नहीं आ सके और आसानी से हथियार लेकर अंदर कोर्ट रूम तक पहुंच गए। सुरक्षा व्यवस्था में हुई इस चूक के लिए जिम्मेदार पुलिसकíमयों के खिलाफ पुलिस अधिकारी कार्रवाई करने की तैयारी में है। इसके लिए गेट पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है।

बार काउंसिल आफ दिल्‍ली ने घटना पर जताई नाराजगी

बार काउंसिल आफ दिल्ली ने रोहिणी कोर्ट में हुई घटना पर नाराजगी जताई है। साथ ही कोर्ट परिसर की सुरक्षा में चूक के लिए दिल्ली पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। काउंसिल के अध्यक्ष राकेश सहरावत ने इस घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। इस संबंध में वार्ता के लिए उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से समय मांगा है। राकेश सहरावत ने कहा कि पूर्व की घटनाओं से सबक लेकर दिल्ली पुलिस को कोर्ट की सुरक्षा पुख्ता करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि वह इस संबंध में बातचीत के लिए अन्य पदाधिकारियों के साथ शनिवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त से मिलेंगे। इसके अलावा सोमवार को जिला बार एसोसिएशन के साथ बैठक करेंगे। ताकि सभी स्तरों पर कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए काम किया जा सके।

आज कोर्ट का कामकाज ठप

रोहिणी कोर्ट परिसर में हुई घटना के मद्देनजर दिल्ली के सभी जिलों की बार एसोसिएशन की कोआर्डिनेशन कमेटी की ओर से शनिवार को दिल्ली की सभी कोर्ट में कामकाज को ठप रखने का निर्णय लिया गया है। कोर्ट में कुल सात गेट हैं। गेट नंबर एक व चार से वकील व अन्य कोर्ट कर्मी प्रवेश करते हैं। गेट नंबर दो से जज जबकि सात व पांच नंबर गेट जनता के लिए है। तीन व छह नंबर के गेट से आवाजाही नहीं होती है। इससे पेशी पर लाए जाने वाले बदमाश अंदर जाते हैं। हर गेट पर तीन-चार सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते हैं।

गेटों पर 15 मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं, लेकिन अधिवक्ताओं का कहना है कि इनमें से अधिकतर मेटल डिटेक्टर काम नहीं करते। इसके साथ ही सुरक्षाकर्मी भी कई बार गेटों पर मौजूद नहीं होते। यह सच्चाई है कि गेटों पर सही तरीके से लोगों की जांच नहीं होती है। न तो लोगों के पहचान पत्र की जांच की जाती है और न ही सही तरीके से उनकी तलाशी ली जाती है। वहीं, गोगी की हत्या के बाद उसकी मां और बहन ने दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े किए हैं। मां और बहन ने आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली पुलिस की इसमें बड़ी लापरवाही रही है।

नए कोट खरीद वारदात करने पहुंचे थे हमलावर

चश्मदीदों के अनुसार, आरोपितों ने जो कोट, पैंट, बेल्ट व सफेद कालर बैंड पहन रखी थी, उसे देखकर ऐसा लग रहा था, मानो वे कहीं से आज-कल में ही खरीदकर लाए हों। उनका पहनावा ऐसा था कि कोर्ट रूम में किसी को भान तक नहीं हुआ कि वे वकील नहीं हैं। रोहिणी डीसीपी प्रणव तायल ने कहा कि कोर्ट की सुरक्षा की समीक्षा को लेकर न्यायिक अधिकारियों के साथ पुलिस की बराबर बैठकें होते रहती हैं। कोर्ट परिसर की सुरक्षा को लेकर न्यायिक अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित किया जाता है। आगे सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने को लेकर समीक्षा की जा रही है। सीसीटीवी कैमरे व मेटल डिटेक्टर को लेकर कथित सुरक्षा चूक की जांच संयुक्त पुलिस आयुक्त कर रहे हैं।


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