सोना उगलेगा कूड़े का पहाड़, बदल जाएगी गाजीपुर लैंडफिल साइट की तस्वीर, फैल जाएगी खुशबू
संयंत्र द्वारा पहले चरण में 200 मीट्रिक टन पुराने कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे 50 मेगावाट बिजली, 20 हजार लीटर पानी और 15 हजार लीटर जीरो कार्बन वाला ईंधन पैदा किया जाएगा
नई दिल्ली [जेएनएन]। गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास से गुजरते समय बदबू के कारण लोग नाक बंद करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने एजी डाउटर्स कंपनी से समझौता किया है। कंपनी का दावा है कि आगामी कुछ दिनों में यहां न केवल खुशबू फैलेगी बल्कि इस कूड़े से दिल्ली की जरूरत से कहीं ज्यादा बिजली, पानी व ईंधन मिल सकेगा।
निगम को तीन फीसद की हिस्सेदारी
पूर्वी निगम गाजीपुर लैंडफिल साइट पर तीन एकड़ भूमि कंपनी को देगा। यहां कंपनी अपना संयंत्र स्थापित करेगी, जिसे कचरे के ऊपर ही बनाया जाएगा। इसपर कंपनी 450 करोड़ रुपये खर्च करेगी। जब इस परियोजना से आमदनी होनी शुरू होगी तो निगम को तीन फीसद की हिस्सेदारी मिलेगी। इसपर निगम का कुछ भी खर्चा नहीं होगा। यह देश का पहला और सबसे बड़ा संयंत्र होगा।
कचरे का पहाड़ खड़ा नहीं होगा
समझौता प्रपत्र पर हस्ताक्षर के दौरान मौके पर महापौर बिपिन बिहारी सिंह, नेता सदन निर्मल जैन, आयुक्त रणबीर सिंह, अतिरिक्त आयुक्त अलका शर्मा और स्थानीय पार्षद राजीव चौधरी मौजूद रहे। महापौर बिपिन बिहारी सिंह ने कहा कि गाजीपुर स्थित कचरे के पहाड़ को खत्म करने के लिए निगम प्रयासरत है। समझौते के जरिये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना कूड़े से बिजली, पानी और ईंधन बनाने की पहल की जा रही है। उम्मीद है कि इस तरह कचरे का पहाड़ खड़ा नहीं होगा।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू हो रहा है काम
निगमायुक्त डॉ. रणबीर सिंह ने बताया कि योजना को एक साल के लिए बतौर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। यदि यह सफल रहा तो इसे 21 वर्षों के लिए बढ़ाया जाएगा। इस संयंत्र से बिजली या पानी उत्पादन की प्रक्रिया में सभी पर्यावरण संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन होगा।
यह करिश्मा ही होगा
गाजीपुर के पार्षद राजीव कुमार का कहना है कि अगर ऐसा संभव होता है तो यह करिश्मा ही होगा। इससे दिल्ली की बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा। कंपनी के प्रबंध निदेशक अजय गेरोत्रा का कहना है कि उनका संयंत्र एलटी प्लाज्मा गैसीफिकेशन तकनीक पर आधारित होगा। मार्च 2019 से बिजली उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। उनकी कंपनी ने नासा के साथ काम किया है और अंतरिक्ष के कचरे को साफ किया है। इस प्रक्रिया में कूड़े का कोई अंश नहीं बचता है। संयंत्र चालू होने के बाद ऐसे लिक्विड का प्रयोग किया जाएगा, जिससे आसपास खुशबू फैलेगी।
दो चरणों में होगा काम
इस संयंत्र द्वारा पहले चरण में 200 मीट्रिक टन पुराने कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे 50 मेगावाट बिजली, 20 हजार लीटर पानी और 15 हजार लीटर जीरो कार्बन वाला ईंधन पैदा किया जाएगा। वहीं, दूसरे चरण में संयंत्र से प्रतिदिन 1500 मीट्रिक टन कूड़े से 560 मेगावाट बिजली, 4.75 लाख लीटर पानी और दो लाख लीटर जीरो कार्बन ईंधन पैदा किया जा सकेगा।