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MCD चुनावः पंजाब-गोवा की चाहत ने दिल्ली में डुबाई केजरीवाल की लुटिया

MCD में पार्टी की हार के बाद इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि गोवा व पंजाब चुनाव के लिए आप सरकार के मंत्रियों के दिल्ली से दूर रहना यहां के लोगों को रास नहीं आई।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 04:12 PM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2017 07:13 AM (IST)
MCD चुनावः पंजाब-गोवा की चाहत ने दिल्ली में डुबाई केजरीवाल की लुटिया
MCD चुनावः पंजाब-गोवा की चाहत ने दिल्ली में डुबाई केजरीवाल की लुटिया

नई दिल्ली (जेएनएन)। आम आदमी पार्टी (AAP) और उसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की जनता ने विधानसभा चुनाव में पलकों पर बैठाया था और पार्टी की हर कही बात को हाथों हाथ लिया था। जनता को उम्मीद थी कि दूसरी बार दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद आप पुरानी गलती दोबारा नहीं दोहराएगी।

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अब इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि गोवा व पंजाब चुनाव के लिए आप सरकार के मंत्रियों के दिल्ली से दूर रहना यहां के लोगों को रास नहीं आई। पंजाब व गोवा में सत्ता की चाहत ने आप को दिल्लीवालों के दिल से दूर कर दिया। जिसका परिणाम नगर निगम चुनाव में करारी हार के रूप में सामने आया।

केजरीवाल बनाम विजेंद्र गुप्ता का होर्डिंग वार भी आप के काम नहीं आया। आप ने केजरीवाल के मुस्कुराते चेहरे के सामाने विजेंद्र गुप्ता का हताश, निराश दिखने वाला फोटो लगाकर मतदाताओं से पूछा कि कैसा शासन चाहिए?

मतदाताओं को आकर्षित करने का आप का यह तरीका भी अधिक प्रभाव नहीं डाल सका, क्योंकि केजरीवाल की छवि यदि एक ईमानदार नेता की रही है तो प्रतिपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता की छवि भी खराब नहीं है। बल्कि विजेंद्र गुप्ता ने चुनावी अभियान के दौरान 12 हजार व 16 हजार रुपये की शाही थाली का मामला उठाकर आप को भ्रष्टाचार के कठघरे में खड़ा कर दिया।

लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज कर दिल्ली की सत्ता में वापसी करने पर 14 फरवरी 2015 को रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों को भरोसा दिलाया था कि वे पांच साल तक दिल्ली को छोड़कर नहीं जाएंगे।

दिल्ली की सेवा करेंगे, लेकिन गोवा व पंजाब चुनाव के दौरान सरकार के नुमाइंदे ज्यादा वक्त दिल्ली से बाहर रहे। क्योंकि आम आदमी पार्टी ने बहुत पहले गोवा व पंजाब में अपना चुनावी अभियान शुरू कर दी थी। इस वजह से दिल्ली से उनका ध्यान भटका।

पिछले साल जब दिल्ली के लोग डेंगू व चिकनगुनिया से कराह रहे थे, उस वक्त भी एक मंत्री को छोड़ सरकार के सभी मंत्री दिल्ली से बाहर थे। तब विपक्ष ने इसे मुद्दा भी बनाया था। ऐसे में लोगों का आप से विश्वास खिसकने लगा।

स्वराज इंडिया के संस्थापक सदस्य व आप के पूर्व नेता प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा कि मैं केजरीवाल के संघर्ष व चुनावी जीत में साथ रहा हूं। विधानसभा में जीत के बाद आप दिल्ली की जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी।

दिल्ली के लोग जब सबसे ज्यादा मुश्किल में होते हैं तब सरकार उनके साथ खड़ी नहीं होती। अब लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद करेंगे कि दिल्ली साफ व सुंदर बने। ऐसा नहीं होने पर भाजपा को भी जनता की उम्मीदों की कीमत चुकानी पड़ेगी।


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