बंद पड़े सिनेमा घरों पर सरकार की नजर, शिक्षा मंदिर में होंगे तब्दील
सिनेमाघर मालिकों के संघ ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर बंद पड़े सिनेमा घरों में एजूकेशन सेंटर खोलने की पेशकश की है।
नई दिल्ली [ वीके शुक्ला ] । राजधानी में मनोरंजन के केंद्र रहे सिनेमाघर शिक्षा के मंदिर बनेंगे। यहां बच्चे अपना भविष्य संवार सकेंगे। इन सिनेमाघरों में शिक्षा, प्रशिक्षण के साथ साथ कौशल विकास केंद्र विकसित किए जाएंगे।
सिनेमाघर मालिकों के संघ ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर बंद पड़े सिनेमा घरों में एजूकेशन सेंटर खोलने की पेशकश की है।
उपराज्यपाल ने इसे अच्छा कदम मानते हुए मुख्य सचिव डा. एमएम कुट्टी को इस मामले को भेज दिया है। जिसमें उन्होंने सरकार से कहा है कि वह इस बारे में विचार करें तथा जटिलताओं को दूर करें। अब दिल्ली सरकार इस मामले में हल निकालने की कोशिश कर रही है।
बता दें कि पिछले 2 वर्ष में ही राजधानी में 20 सिनेमा हाल बंद हो गए हैं। प्रत्येक मॉल में मल्टीप्लेक्स बनाने का चलन बढ़ गया है, जहां तीन से चार फिल्में अलग-अलग हाल में दिखाई जाती हैं।
पूरे मामले में खास बात यह है कि कौशल विकास योजना केंद्र सरकार का प्रोग्राम है। इस माहौल में दिल्ली में कमानी आडिटोरियम फिक्की आडिटोरियम या सीरी फोर्ट अथवा कोई अन्य थिएटर लोगों के एकत्रित होने का निर्धारित स्थान है।
इस मद्दे को लेकर लड़ाई लड़ रहे नेशनल एसोसिएशन आफ मोशन पिक्चर्श के सचिव शशांक रायजादा ने एलजी को लिखे पत्र में महाराष्ट्र के सिनेमा रेगुलेशन नियम में वर्ष 2004 में किए गए परिवर्तन का हवाला देते हुए कहा था कि पहले के नियम अन्य राज्यों में बदल चुके हैं जहां सिनेमा हाल में वीडियो दिखाने या कांफ्रेस की सुविधा देने का नियम बना दिया गया है। यानि सिनेमा में नई गतिविधि को मंजूरी दे दी गई है।
दिल्ली के सिनेमा हाल के मालिक बंद पड़े सिनेमा हाल को ट्रेनिंग देने शिक्षा से संबंधित कार्य के लिए देने व कौशल विकास के लिए देने के लिए इच्छुक हैं।
रायजादा ने कहा कि इसके लिए वर्ष 2008 में बने आडिटोरियम की परिभाषा में परिवर्तन करना होगा। आडिटोरियम की परिभाषा इस प्रकार की है कि सिनेमा हाल के अन्य प्रयोग में बाधा हो रही है, जबकि राजधानी के सिनेमा हाल के मालिक शिक्षण कार्य व कौशल विकास में इसका उपयोग करने के लिए इच्छुक हैं।