इस वजह से दिल्ली में कम नहीं हो रहा प्रदूषण, आरोप-प्रत्योराप की हो रही राजनीति
नेता प्रतिपक्ष कुलदीप कुमार ने कहा कि इन महीनों में हर साल प्रदूषण बढ़ जाता है, लेकिन निगम ने प्रदूषण रोकने के 55 करोड़ रुपये में जो 10 मेकेनिकल स्वीपर लिए हैं।
पूर्वी दिल्ली, जेएनएन। हंगामे के कारण एक घंटे तक सदन की बैठक बाधित रहने के बाद प्रदूषण के मुद्दे पर चर्चा हुई। इसमें भाजपा व कांग्रेस के पार्षदों ने हिस्सा लिया। बैठक में निर्मल जैन ने कहा कि प्रदूषण दिल्ली की गंभीर समस्या है। लोग सांसों के माध्यम से जीवनदायिनी ऑक्सीजन के बजाय जहर ले रहे हैं। इस पर नियंत्रण के लिए निगम के पास पर्याप्त फंड होने चाहिए, लेकिन दिल्ली सरकार चौथे वित्त आयोग के हिसाब से निगम का 10,228 करोड़ रुपये बकाया नहीं दे रही है।
स्थायी समिति अध्यक्ष सत्यपाल सिंह ने कहा कि प्रदूषण की वजह से दिल्ली के लोगों की उम्र कम होती जा रही है। मिर्ची पाउडर फेंकने को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया जाता है, लेकिन दिल्ली कैसे प्रदूषणमुक्त हो, इस पर कहीं चर्चा ही नहीं होती है।
दिल्ली सरकार की संवदेनहीनता की वजह से स्थिति बदहाल हो रही है। इसके बावजूद केंद्र सरकार से स्वच्छ भारत अभियान के तहत जो 100 करोड़ रुपये मिले हैं उससे प्रदूषण रोकने के लिए काम हो रहा है। नेता प्रतिपक्ष कुलदीप कुमार ने कहा कि इन महीनों में हर साल प्रदूषण बढ़ जाता है, लेकिन निगम ने प्रदूषण रोकने के 55 करोड़ रुपये में जो 10 मेकेनिकल स्वीपर लिए हैं उस पर हर महीने 48 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है।
पूर्व महापौर नीमा भगत ने कहा कि केंद्र सरकार अपने सभी दायित्व का निर्वाह कर रही है, लेकिन मुख्यमंत्री प्रदूषण रोकने के बजाय दुबई की यात्रा पर निकल जाते हैं। प्रवेश शर्मा ने कहा कि आप हर चीज में राजनीति कर रही है। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
राजकुमार बल्लन ने कहा कि विपक्ष आरएसएस को गाली दे रहा है। ऐसे लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। यह संगठन हमारी मां के समान है, जिसकी विश्व भर में प्रतिष्ठा है। कुमारी रिंकू ने भाजपा व आप दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मुद्दे पर दोनों ही गंभीर नहीं हैं।
सदन में इसको लेकर सिर्फ राजीनीतिक भाषणबाजी होती है। संदीप कपूर ने कहा कि दिल्ली में जब सीवर है तो बरसाती नालियों में घरों का पानी जाना ही नहीं चाहिए। सरकार ने शहरी विकास का 280 करोड़ रुपये का फंड ही नहीं दिया, जिससे प्रदूषण की रोकथाम होती।
पर्यावरण प्रबंधन सेवाएं समिति के चेयरमैन केके अग्रवाल ने कहा कि मेकेनिकल स्वीपर के माध्यम से रोजाना सफाई हो रही है। एक मशीन करीब 3000 किलो धूल रोजाना इकट्ठा कर रही है। इससे प्रदूषण रोकने में काफी मदद मिल रही है। वीर पंवार ने कहा कि जर्जर सड़कें प्रदूषण बढ़ा रही हैं, लेकिन निगम के पास इसे बनाने के लिए फंड ही नहीं है।