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'इको ब्रिक्स चैलेंज' से गली-मोहल्लों का होगा सुंदरीकरण, प्रदूषण पर लगेगी रोक

इस मुहिम से लिटिल फ्लावर ग्रुप ऑफ स्कूल के विद्यार्थी व शिक्षक भी जुड़ गए हैं। जो अपने घर से बोतलों में प्लास्टिक इकट्ठा कर स्कूल में जमा करा रहे हैं। इको ब्रिक्स देने वाले बच्चों को ट्रस्ट की ओर से प्रशस्ति पत्र भी दिया जा रहा है।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 02:28 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 02:28 PM (IST)
'इको ब्रिक्स चैलेंज' से गली-मोहल्लों का होगा सुंदरीकरण, प्रदूषण पर लगेगी रोक
एक माह में इकट्ठा हुई करीब ढाई हजार प्लास्टिक की बोतलें

नई दिल्ली [रितु राणा]। प्लास्टिक जहां मनुष्य के लिए एक वरदान है। वहीं, पर्यावरण के लिए यह अभिशाप है। यह जल, जमीन और वायु तीनों के प्रदूषित होने का एक प्रमुख कारक बनकर सामने आया है। जगह-जगह कूड़े के ढेर व पहाड़ दिल्ली की आबोहवा को जहरीला बना रहे हैं। नदियां तलाब, जोहड़ और जलीय जीव जंतु भी इसका शिकार बन रहे हैं। ऐसे में दिल्ली में 'पर्यावरण संरक्षण गतिविधि' के अंतर्गत पर्यावरण प्रेमी धीरज यादव ने 'इको ब्रिक्स चैलेंज' नाम से एक अभियान शुरू किया गया है। जैसे जिन्न को बोतल में कैद करके उससे मुक्ति पाई जाती है, उसी प्रकार पर्यावरण प्रेमियों ने बोतल में प्लास्टिक को कैद करके उससे मुक्ति पाने की मुहिम छेड़ी है। इको ब्रिक्स जहां पार्क व गली मोहल्लों के सुंदरीकरण में काम आएंगी, वहीं इससे प्रदूषण पर भी रोक लगेगी।

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एक माह में इकट्ठा हो गई ढाई हजार इको ब्रिक्स

उत्तरी छज्जुपुर निवासी धीरज यादव ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के अंतर्गत पूरी दिल्ली में इको ब्रिक्स बनाने का अभियान शुरू किया गया है। पूर्वी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली में धीरज यादव इस कार्य को डीआर पटेल मेमोरियल ट्रस्ट के सहयोग से गति दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य दिल्ली के हर घर तक इको ब्रिक्स तैयार कर प्लास्टिक से मुक्ति पाने का मंत्र पहुंचाना है। इस प्रकार तैयार की गई इको ब्रिक्स 100 वर्षों तक भी काम आती है। एक महीने में करीब ढाई हजार प्लास्टिक से भरी बोतलें उन्होंने इकट्ठा कर ली हैं। इसमें महिलाएं और छोटे बच्चे बढ़ चढ़कर सहयोग कर रहे हैं। यह मुहिम 31 मार्च 2020 तक चलेगी व इन ब्रिक्स का प्रयोग सघन वन व पार्क आदि में किया जाएगा। वहीं, डॉ. डीआर मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष रोहित दुआ ने बताया कि वह दो लीटर की खाली बोतल से एक ईको ब्रिक तैयार कर रहे हैं, जिसमें एक घर की 15 से 20 दिन की प्लास्टिक की थैलियां भरी जा रही हैं। यानी एक ब्रिक से लगभग 100 स्क्वायर मीटर क्षेत्र को प्लास्टिक से मुक्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इको ब्रिक्स बनाना आज के समय की आवश्यकता बन चुकी है।

बोतलें इकट्ठा करने के लिए अब तक लगाए जा चुके तीन शिविर

इस मुहिम से लिटिल फ्लावर ग्रुप ऑफ स्कूल के विद्यार्थी व शिक्षक भी जुड़ गए हैं। जो अपने घर से बोतलों में प्लास्टिक इकट्ठा कर स्कूल में जमा करा रहे हैं। इको ब्रिक्स देने वाले बच्चों को ट्रस्ट की ओर से प्रशस्ति पत्र भी दिया जा रहा है। पिछले दो चरण की इको ब्रिक्स कलेक्शन में बच्चों को पेन स्टैंड और घड़ी प्रशस्ति पत्र के साथ दिए गए। वहीं, यमुनापार की वृक्ष मित्र, नीम टीम, निश्चय निशा जैन फाउंडेशन, जेन एक्स फाउंडेशन, स्पर्श ए टच, विज्ञान विहार आरडब्ल्यूए, युवा परिवर्तन सोनिया विहार आदि जुड़कर प्लास्टिक की बोतलें इकट्ठा करने में सहयोग कर रहे हैं।

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