चंदे में घपले पर चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी से पूछा- क्यों न करें कार्रवाई?
चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को नोटिस भेजकर पूछा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। आयोग ने आप को 20 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। आम आदमी पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। चुनाव आयोग ने पार्टी के खाते में गड़बड़ी और चंदे के हिसाब किताब को छिपाने के मामले में उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आयोग ने चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 की धारा 16ए के तहत नोटिस जारी कर आप को 20 दिन के भीतर पार्टी को मिले चंदे पर जवाब देने को कहा है।
आप' को कारण बताओ नोटिस जारी
दरअसल आयकर विभाग की रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी गई थी। इसके आधार पर चुनाव आयोग ने 'आप' को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज यानी सीबीडीटी की भेजी रिपोर्ट के आधार पर 'आप' पर आरोप है कि उसने साल 2014-15 में चंदे के मामले में पारदर्शिता के नियमों का उल्लंघन किया है।
क्यों न पार्टी के खिलाफ कार्रवाई की जाए?
आयोग ने अपने नोटिस में 'आप' से पूछा है कि उपरोक्त नियमों का उल्लंघन करने के लिए क्यों न पार्टी के खिलाफ कार्रवाई की जाए? आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग को वित्तीय आकंड़ों के बारे में 30 सितंबर 2015 को अपनी पार्टी के चंदे का हिसाब भेजा था और बाद में 20 मार्च 2017 को संशोधित हिसाब भी भेजा। लेकिन इन दोनों के आकंड़ों में काफी अंतर पाया गया है।
2 करोड़ चंदे के रुप में दिखाया
आम आदमी पार्टी के बैंक खाते में 67.67 रुपये क्रेडिट हुए जबकि पार्टी ने अपने खातों में 54.15 करोड़ रुपए ही दिखाए यानी 13.16 करोड़ रुपए का हिसाब नहीं मिला और यह अज्ञात स्त्रोतों से माने गए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आप ने 2 करोड़ रुपए हवाला ऑपरेटर से लिए और इनको चंदे के रुप में दिखाया।
चंदे की गलत जानकारी दी
रिपोर्ट में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर और चुनाव आयोग को चंदे की गलत जानकारी दी है और आयोग द्वारा सवाल उठाने पर आम आदमी पार्टी ने अपने खातों की जानकारी भी बदल डाली। बहराल इस पूरे मामले पर आम आदमी पार्टी ने एक बयान जारी करके अपना पक्ष रखा है। पार्टी ने साफ किया है कि उसकी सभी जानकारी ठीक है और सरकारी जांच एजेंसिया पार्टी के साथ पक्षपात रवैया अपना रही है। पार्टी ने कहा है कि वह चंदे का हिसाब सीबीडीटी को पहले ही सौप चुकी है। चुनाव आयोग को भी इस पर वह जानकारी देने को तैयार है।