नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे शुरू होने से राजधानी में बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों का प्रवेश तो बंद हो ही गया है, 20 साल में 15.3 लाख टन कार्बन डाइआक्साइड (CO2) भी घट जाएगा। इससे दिल्ली की हवा का जहर भी कम होगा। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे में भी लगभग 2.2 लाख टन CO2 उत्सर्जन रोकने की क्षमता है। यह जानकारी सामने आई है द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) और सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) के एक संयुक्त अध्ययन से।

इस रिपोर्ट में लगाया गया है अनुमान

"राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और संचालन के दौरान टाले गए CO2 उत्सर्जन का आकलन" शीर्षक वाली रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि निर्माणाधीन दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे से 20.6 लाख टन CO2 उत्सर्जन से बचने में मदद मिलेगी। अध्ययन में विस्तारित दिल्ली-आगरा राजमार्ग से 6.4 लाख टन CO2 घटने का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर, राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार और पिछले नौ वर्षों में ग्रीनफ़ील्ड एक्सप्रेस वे के निर्माण से 20 वर्षों में 32 मिलियन टन कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन थमने की क्षमता है।

यह अध्ययन परियोजनाओं के जीवन चक्र विश्लेषण का उपयोग करते हुए किया गया है, जिसमें वन क्षेत्र और वनों के बाहर पेड़ों के नुकसान सहित एनएच और एक्सप्रेसवे के निर्माण की अवधि और संचालन चरण दोनों को ध्यान में रखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, एनएच और एक्सप्रेसवे के विस्तार और निर्माण से ईंधन की खपत पर भारी प्रभाव पड़ता है क्योंकि वाहन भीड़भाड़ वाले ट्रैफिक में कम समय बिताते हैं और इस तरह डीजल और पेट्रोल दोनों की बचत होती है।

डीजल की भी होगी बचत

ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के कारण, 20 वर्षों में डीजल की बचत 575 मीट्रिक टन होने का अनुमान लगाया गया है जबकि पेट्रोल की बचत लगभग चार मीट्रिक टन होगी। 135 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस वे ने बड़ी संख्या में उन ट्रकों को डायवर्ट करने में मदद की है, जिन्हें पहले दिल्ली से गुजरना पड़ता था। इसके विपरीत, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के मामले में, पेट्रोल की बचत डीजल की बचत से लगभग नौ गुना अधिक होने का अनुमान है। रिपोर्ट में 82 मीट्रिक टन पेट्रोल की बचत की तुलना में नौ मीट्रिक टन डीजल की बचत का भी अनुमान लगाया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस हिस्से पर निजी वाहनों की हिस्सेदारी ज्यादा है।

विशेषज्ञ एजेंसियों ने दिल्ली-आगरा, पानीपत-जालंधर और पुणे-सोलापुर राजमार्गों के अलावा ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे, दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-देहरादून और अहमदाबाद-वड़ोदरा एक्सप्रेसवे सहित 20 हाईवे स्ट्रेच - पांच ग्रीनफ़ील्ड और 15 ब्राउनफ़ील्ड स्ट्रेच - के आंकड़े भी एकत्र किए।

रिपोर्ट के मुताबिक, इन 20 परियोजनाओं के मामले में अनुमान है कि 20 साल की अवधि में कुल ईंधन खपत करीब 41.2 अरब लीटर होगी। रिपोर्ट में कहा गया है, "इस खपत की मात्रा 19 प्रतिशत कम है। कुल ईंधन बचत में पेट्रोल की हिस्सेदारी करीब सात प्रतिशत और बाकी डीजल की होगी। मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों द्वारा क्रमशः 53 प्रतिशत और 23 प्रतिशत की बड़ी बचत होगी।

Edited By: Abhi Malviya