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Earthquake Updates: क्या दिल्ली-NCR में आने वाला है बड़ा भूकंप? पढ़िए- एक्सपर्ट की राय

Earthquake in Delhi NCR News एक्सपर्ट का कहना है कि विश्व में भूकंप हर घंटे-दो घंटे में आता रहता है। फर्क यह है कि कम अंतराल पर आने वाले भूकंप ज्यादा तीव्रता वाले नहीं होते हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 07:38 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jun 2020 02:05 PM (IST)
Earthquake Updates: क्या दिल्ली-NCR में आने वाला है बड़ा भूकंप? पढ़िए- एक्सपर्ट की राय
Earthquake Updates: क्या दिल्ली-NCR में आने वाला है बड़ा भूकंप? पढ़िए- एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली। Earthquake in Delhi NCR News: लॉकडाउन के डेढ़ माह के दौरान दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के छह-सात झटके लगे। हालांकि हर बार भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.5 से ज्यादा नहीं गई, लेकिन विचारणीय पहलू यह है कि भूकंप का अधिकेंद्र दिल्ली या आसपास का क्षेत्र ही था। ऐसे में किसी के भी मन में दहशत होना स्वाभाविक है कि ये छोटे-छोटे भूकंप किसी बड़े भूकंप का संकेत तो नहीं? लगभग 60 फीसद अनियोजित तरीके से बसी दिल्ली में 80 फीसद इमारतें असुरक्षित हैं। ऐसे में भूकंप से ज्यादा भूकंप आने पर जानमाल का नुकसान होने का भय बना रहता है। भूकंप क्यों आता है, कैसे इसकी पूर्व जानकारी मिल सके और कैसे इस नुकसान को रोका जा सके...इत्यादि प्रश्नों पर संजीव गुप्ता ने राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के आपरेशन प्रमुख जे एल गौतम से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश :

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भूकंप क्या है और यह क्यों आता है?

-देखिए, यह सारी दुनिया जिस धरती पर टिकी है, उसका अस्तित्व सात टेक्टोनिक प्लेटों पर टिका है। ये प्लेटें जब आपस में टकराती हैं या धरती के गर्भ में कुछ और हलचल होती है तो हमें भूकंप का एहसास होता है। भूकंप के दौरान धरती डगमगाती है। इस दौरान धरती पर मौजूद इमारतें या अन्य सभी कुछ हिलने लगता है। भारत जिस प्लेट पर टिका है उसे इंडो आस्ट्रेलियन प्लेट कहते हैं। कई बार भूकंप की वजह इस प्लेट का यूरेशियन प्लेट से टकराना होता है तो कई बार यह फाल्ट लाइन के एडजस्टमेंट के कारण आता है। 

क्या मौसम की तरह भूकंप का पूर्वानुमान संभव नहीं है?

-नहीं, भूकंप के पूर्वानुमान की वैज्ञानिक तकनीक दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं है। दरअसल, धरती के भीतर क्या चल रहा है, इसकी स्कैङ्क्षनग करने की कोई पुख्ता तकनीक अब तक विकसित नहीं की जा सकी है। जापान जैसा देश भी इसमें कामयाब नहीं हो सका है।

भूकंप को लेकर दिल्ली की क्या स्थिति है?

सिस्मिक जोन चार में शामिल दिल्ली भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील है। पूर्वी और पुरानी दिल्ली को संकरा और दलदली जमीन पर बसा होने के कारण कहीं अधिक संवेदनशील माना जाता है।

यमुना खादर में हो रहे अवैध निर्माण का भूकंप की स्थिति पर कितना फर्क पड़ता है?

निर्माण चाहे शहर में हो या रिवर बेल्ट में, उसका भूकंप से सीधा कोई सरोकार नहीं है। हां, भूकंप से बचाव के लिए बिल्डिंग कोड का सख्ती से पालन होना चाहिए। बहुत सीधा सा फंडा है कि हम भूकंप की भविष्यवाणी नहीं कर सकते, न ही भूकंप की तीव्रता को कम कर सकते हैं। अगर कोई भी भवन निर्माण करते समय बिल्डिंग कोड का ख्याल रखते हैं तो जानमाल का नुकसान अवश्य रोक सकते हैं।

लॉकडाउन में बार-बार आए भूकंपों को आप किस रूप में देखते हैं? क्या यह भविष्य में किसी बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं?

-देखिए, जहां फाल्ट लाइन होती है, आमतौर पर वहीं भूकंप का अधिकेंद्र बनता है। दिल्ली-एनसीआर में जमीन के नीचे दिल्ली-मुरादाबाद , मथुरा, सोहना व दिल्ली-सरगौधा फाल्ट लाइन व दिल्ली-हरिद्वार रिज लाइन मौजूद हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान आए भूकंप फॉल्ट लाइन के प्रेशर से आए हों, ऐसा नहीं लगता। इन स्थानीय और कम तीव्रता वाले भूकंपों के लिए, फॉल्ट लाइन की जरूरत नहीं है। धरातल के नीचे छोटे-मोटे एडजस्टमेंट होते रहते हैं और इससे भी कभी-कभी झटके महसूस होते हैं। दूसरी तरफ बड़े भूकंप फॉल्ट लाइन के किनारे आते हैं। इस दृष्टि से दिल्ली नहीं, बल्कि हिमालयन बेल्ट को भूकंप से ज्यादा खतरा है। हिंदुकुश से अरुणाचल प्रदेश तक जाने वाली रेंज में ही अमूमन बड़े भूकंप आते हैं। दिल्ली से ये पहाड़ 200-250 किलोमीटर दूर हैं, लेकिन फिर भी अगर कभी हिमालयन बेल्ट में कोई बड़ा भूकंप आता है तो उसका दिल्ली तक आना भी स्वाभाविक है। 

क्या आप लोग कभी इस बाबत संबंधित विभागों को अपनी कोई अनुशंसा भेजते हैं?

-हमारा मुख्य काम भूकंप की निगरानी करना और जमीन के भीतर की गतिविधियों पर शोध करना होता है। इसका दायरा भी लगातार बढ़ता रहा है। आज दिल्ली और आसपास के 300 किलोमीटर के दायरे में हमारी 25 ऑब्जर्वेटरी लगी हुई हैं, जिनसे रिक्टर स्केल पर 2 से कम की तीव्रता वाले भूकंप की निगरानी भी की जा रही है।

भूकंप तो कभी-कभार ही आता है तब आप लोग फिर करते क्या हैं?

-यह किसने कहा कि भूकंप कभी-कभार आता है। सच तो यह है कि दुनिया में भूकंप हर घंटे-दो घंटे में आता रहता है। हमें पूरे देश के हर हिस्से में आने वाले भूकंप की निगरानी करनी होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर आने वाले भूकंप बहुत ज्यादा तीव्रता वाले नहीं होते। इसीलिए उनके बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं चलता। इनका असर केवल संबंधित क्षेत्र तक ही रह जाता है।

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