DUSU चुनाव के नतीजों से मिला संकेत, परोक्ष रूप से लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा असर
मतदान करने वाले युवा भी मानते हैं कि डूसू के नतीजों का असर परोक्ष रूप से 2019 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। पिछले साल डूसू चुनाव में एनएसयूआइ ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर कब्जा किया था।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के नतीजे आ गए हैं। इसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को तीन और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) को एक सीट पर जीत मिली है। भले ही राष्ट्रीय स्तर पर इस चुनाव का इतना महत्व न हो लेकिन ये चुनाव युवाओं को लेकर एक संकेत जरूर देते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव हमेशा से नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के बीच वर्चस्व की लड़ाई जैसा रहा है।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे इस छात्र संघ चुनाव को युवाओं के रुझान के तौर पर भी देखा जा रहा है। एक तरह से डूसू के नतीजों से यह भांपने की कोशिश की जाएगी की युवाओं का मूड क्या है। क्या वह एबीवीपी को जिताकर केंद्र में भाजपा की नीति के साथ खड़ा दिखाई देगा या फिर एनएसयूआइ को मौका देकर कांग्रेस का पलड़ा मजबूत करेगा।
एबीवीपी और एनएसयूआइ के बीच कांटे की टक्कर
इस चुनाव में मतदान करने वाले युवा भी मानते हैं कि डूसू के नतीजों का असर परोक्ष रूप से 2019 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। पिछले साल डूसू चुनाव में एनएसयूआइ ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर कब्जा किया था, जबकि एबीवीपी ने सचिव व उप सचिव पद पर जीत दर्ज की थी। इस बार भी सभी पदों पर जीत के लिए एबीवीपी और एनएसयूआइ के बीच कांटे की टक्कर है। मतदान करने पहुंचे युवाओं की नजर एक तरफ जहां विश्वविद्यालय की समस्या पर रही, वहीं दूसरी ओर उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखकर वोट डाले।
युवा किसके साथ हैं
हंसराज कॉलेज के हिंदी ऑनर्स के छात्र प्रखर का कहना है कि विभिन्न मुद्दों को लेकर सभी के अपने-अपने दावे हैं और इसको ध्यान में रखकर वोट दिया है। प्रखर का कहना है कि निश्चित तौर पर इस चुनाव के परिणाम में आगामी लोकसभा चुनाव में युवाओं के मूड की तस्वीर दिखेगी। डूसू के परिणाम से कांग्रेस व भाजपा को संकेत मिल जाएगा की युवा किसके साथ हैं।
लोस चुनाव की तस्वीर भी देखी जा सकेगी
लॉ फैकल्टी में वोट डालने पहुंचीं विधि की द्वितीय वर्ष की छात्रा आंचल का कहना है कि यह सही है कि डूसू चुनाव के नतीजों को लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जाएगा, लेकिन मैंने अपने विभाग से जुड़े मुद्दों पर वोट दिया है। किरोड़ी मल कॉलेज की राजनीतिक शास्त्र तृतीय वर्ष की छात्रा प्रेरणा भारद्वाज का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में विभिन्न राज्यों के छात्र आते हैं। इस कारण डूसू के नतीजे बताएंगे कि युवाओं का मूड क्या है और वह किस पार्टी के पक्ष में खड़े हैं। निश्चित तौर पर इससे 2019 के लोस चुनाव की तस्वीर भी देखी जा सकेगी।
देश से जुड़े मुद्दे भी छाए रहे
हिंदू कॉलेज के छात्र प्रभाष यादव का कहना है कि डूसू चुनाव के घोषणा पत्र में देश से जुड़े मुद्दे भी छाए रहे हैं। चाहे वह डीयू को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दिलाने की बात हो या फिर आरक्षित वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति दिलाने की। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि डूसू चुनाव युवाओं का आगामी लोकसभा चुनाव के प्रति मूड बताएगा।