DU: बहुमंजिला इमारत के खिलाफ डीयू के आठ कॉलेज पहुंचे एनजीटी
दौलतराम कॉलेज हंसराज कॉलेज हिंदू कॉलेज किरोड़ीमल कॉलेज एसजीटीबी खालसा कॉलेज श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स और सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्राचार्यों ने संयुक्त रूप से एनजीटी को पत्र लिखकर कहा है कि नार्थ कैंपस में रहने वाले छात्र कर्मचारी पहले ही वाहनों की बढ़ती संख्या से परेशान हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नार्थ कैंपस में प्रस्तावित 39 मंजिला इमारत के निर्माण के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के आठ कॉलेजों ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का दरवाजा खटखटाया है। प्राचार्यों ने एनजीटी के चेयरपर्सन को एक पत्र लिखा है, जिसमें सुरक्षा, वाहनों की संख्या बढ़ने, ध्वनि-वायु प्रदूषण, भूंकप का खतरा, भूजल स्तर गिरने की आशंका जताते हुए इमारत का निर्माण ना होने देने की गुजारिश की गई है।दौलतराम कॉलेज, हंसराज कॉलेज, हिंदू कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज, एसजीटीबी खालसा कॉलेज, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स और सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्राचार्यों ने संयुक्त रूप से एनजीटी को पत्र लिखकर कहा है कि नार्थ कैंपस में रहने वाले छात्र, कर्मचारी पहले ही वाहनों की बढ़ती संख्या से परेशान हैं। जाम का झाम साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। पटेल मार्ग, रिंग रोड पर जाम लगता है। डीयू के सौ साल पूरा होने वाले हैं। देश-विदेश में इसकी ख्याति है। छात्र बड़ी उम्मीदें लेकर पढ़ने आते हैं। परिसर प्रदूषण मुक्त होना चाहिए। पत्र में वाहनों की वजह से सड़क हादसों का भी जिक्र है। बाहरी वाहन चालकों एवं राहगीरों द्वारा छात्राओं को घूरने सरीखे अपराधों का भी पत्र में जिक्र किया गया है।
एनजीटी से कहा गया है कि इमारत कमला नेहरू रिज एरिया के पास है। इस रिज एरिया को दिल्ली का फेफड़ा कहा जाता है, जो राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता बनाए रखने में काफी मदद करता है। बहुमंजिला इमारत से पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ जाएगा। प्राचार्यो की मानें तो भूजल स्तर पर भी काफी असर पड़ेगा। पहले ही नार्थ कैंपस के विभिन्न छात्रावासों के छात्र पानी की समस्या से परेशान हैं। यदि इमारत बनी तो भूजल स्तर और गिर सकता है।
ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण, भूकंप की आशंका से भी एनजीटी को अवगत कराया गया है। क्या है विवाददिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 12 मई 2011 को डीयू के नार्थ कैंपस में मेसर्स यंग बिल्डर्स (प्रा) लिमिटेड को ग्रुप हाउसिंग सोसायटी बनाने की इजाजत दी। कुल तीन हेक्टेयर जमीन में से दो हेक्टेयर जमीन निजी कंपनी को इस हाउसिंग सोसायटी के निर्माण के लिए पट्टे पर दी गई।
सात साल के विलंब के बाद डीयू ने इमारत के निर्माण के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की। एकल पीठ के न्यायाधीश ने विलंब पर गौर किया और 27 अप्रैल 2015 को डीयू की याचिका खारिज कर दी। डीयू ने इसके बाद उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष अपील दायर की। हालांकि उच्च न्यायालय ने अपील दायर करने में ढाई साल विलंब को माफ करने से इन्कार कर दिया। डीयू ने सुप्रीम कोर्ट में भी एक अपील दायर की।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में ग्रुप हाउसिंग सोसायटी बनाने के लिए इजाजत मांगना दिल्ली-2021 का मास्टर प्लान और व्यापक जनहित के खिलाफ है, क्योंकि परियोजना स्थल नार्थ कैंपस के अंदर है, जहां कई ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व की इमारतें हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी थी।
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो